‘मेरे पास बिल्डिंग से कूदने के अलावा कोई और रास्‍ता नहीं था’

सूरत 
डायमंड सिटी के नाम से मशहूर सूरत के सरथना इलाके में एक व्‍यवसायिक इमारत के तीसरे मंजिल पर चल रहे कोचिंग सेंटर के अंदर लगी भीषण आग में 16 लड़कियों समेत 20 स्‍टूडेंट्स जलकर मर गए। विनाशकारी आग से बचने के लिए करीब एक दर्जन स्‍टूडेंट इमारत के तीसरे और चौथे फ्लोर से कूद गए। कूदने वाले लोगों में से तीन की मौत हो गई। इस हादसे में बचे एक स्‍टूडेंट ने बताया कि उसके पास तीसरी मंजिल से कूदने के अलावा और कोई चारा नहीं था।  

इस भीषण अग्निकांड में जिंदा बचे रुशित वेकारिया ने बताया कि कोचिंग सेंटर के एसी में से निकल रही आग से सभी लोग डर गए थे। उन्‍होने कहा, 'कोचिंग पढ़ाने वाले टीचर ने कहा कि यह धुंआ निश्चित रूप से किसी ने बाहर आग जलाई होगी, उससे आ रहा होगा। लेकिन धुंआ लगातार बढ़ता गया तो हम लोग अंतिम कमरे में सुरक्षा के लिए चले गए। जब सांस लेने में दिक्‍कत होने लगी तो हमने खिड़कियों को खोल दिया।' 

फायर ब्रिगेड के लोगों ने नीचे कूदने के लिए कहा 
वेकारिया ने बताया कि फायर ब्रिगेड के लोग नीचे मौजूद थे और उन्‍होंने कूदने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा, 'फायर ब्रिगेड के लोग नीचे कूदने के लिए कह तो रहे थे लेकिन हमें पकड़ने के लिए उनके पास कोई सुरक्षा जाल नहीं था। मैंने सोचा कि अगर मैं यहां रहूंगा तो धुएं से मर जाऊंगा। इसलिए मैंने चांस लिया और अपने दोस्‍तों को छोड़कर तीसरी मंजिल से कूद गया। इसके बाद मुझे बस इतना याद है कि मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था। जब मैं उठा तो खुद को हॉस्पिटल में पाया और महसूस किया कि मैं बच गया हूं।' वेकारिया को हाथों और सिर में चोट आई है। डॉक्‍टरों ने उन्‍हें आठ टांके लगाए हैं। 

उन्‍होंने कहा, 'मैं अच्‍छे आर्किटेक्‍चर कॉलेज में दाखिला लेना चाहता हूं और इसी के लिए तैयारी कर रहा था। हाई स्‍कूल के एग्‍जाम में 85 फीसदी नंबर आने के बाद मेरे परिवार ने मुझे मेरे पसंदीदा काम को करने की अनुमति दे दी। मेरे पिता का हीरों का कारोबार है और मेरी मां हाउस वाइफ हैं। वे मेरी लगन को देखकर बहुत आशान्वित थे। मैंने कभी यह सोचा भी नहीं था कि यह आग कुछ ही मिनटों में मेरे पूरे जीवन को बदलकर रख देगी। मैं नहीं जानता हूं कि मेरे साथी कहां हैं। वे जिंदा भी बचे हैं या नहीं।' 

घड़ी से हुई एक छात्रा की पहचान 
इस भीषण अग्निकांड में बच्‍चों के शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। इसी दौरान एक महिला ने कहा, 'आ आमरी दिकरी छे (यह मेरी बेटी है)।' दरअसल, महिला ने अपनी बेटी जाह्नवी की पहचान उसकी घड़ी से की। जाह्नवी का शव काफी जल गया था जिससे उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। जाह्नवी के अंकल भारत ने बताया कि जाह्नवी को हाल ही में उसके पिता ने नई घड़ी गिफ्ट की थी। जाह्नवी आग में घिर गई थी और खुद को बचा नहीं सकी। 

'बिल्डिंग से निकलने का नहीं था कोई दूसरा रास्ता' 
हालांकि स्थानीय लोगों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिल्डिंग में फायर सेफ्टी सिस्टम तक नहीं मौजूद था और आग लगने की स्थिति में बिल्डिंग से निकलने का कोई रास्ता नहीं था। यही वजह रही कि जो जहां था, वहीं फंसा रह गया और जान बचाने के लिए बिल्डिंग से कूदना ही आखिरी रास्ता दिखा। इस भीषण हादसे के बाद जागी सरकार ने अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वड़ोदरा के सभी कोचिंग सेंटर्स को फायर सेफ्टी ऑडिट पूरा होने तक बंद रखने का आदेश दिया है। हादसे के बाद अहमदाबाद पुलिस ने जिले में चल रहीं सभी ट्यूशन क्लासों, डांस क्लासों और समर कैंप्स को ऐहतियातन बंद करने का आदेश दिया था। 

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