मेडिकेटेड मास्क नहीं मिला तो आदिवासियों ने अपनाया ये देशी जुगाड़

कांकेर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार ने कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण से बचने के लिए बगैर मास्क लगाए ​नहीं निकलने की एडवाइजरी तो जारी कर दी, लेकिन दूरस्थ इलाकों में मास्क की उपलब्धता नहीं है. ऐसे में कांकेर में ग्रामीण व आदिवासियों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशी तरीका अपनाया है. उन्होंने पेड़ के पत्तों से ही मास्क बना लिया है और उसका इस्तेमाल कर रहे हैं. आसपास अस्पताल नहीं होने के कारण ये देशी जुगाड़ ग्रामीणों ने अपनाया है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन कर दिया गया है. राज्य व जिलों की सीमाएं भी सील कर दी गई हैं. ऐसे में कांकेर के आमाबेड़ा जैसे दूरस्थ इलाके के ग्राम कुरूटोला से जागरूकता की मिसाल देने वाली एक तस्वीर सामने आई है. आसपास मेकिडकल की व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने पेड़ के बड़े पत्तों का मास्क बनाया है और उसी का उपयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण जानकारी के अनुसार सरकार की दूसरी एडवाइजरी भी मान रहे हैं.

लॉकडाउन और धारा 144 लगने के बाद भी लोग सड़कों पर निकल रहे हैं. ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अब सख्त रवैया अपना रही है. राजधानी रायपुर में मंगलवार को पुलिस ने सड़क पर सख्ती दिखाते हुए लोगों को जबरन घर भेजा. जांजगीर, मुंगेली, धमतरी में पुलिस ने बेवज​ह बाहर निकलने वालों को पम्फलेट पकड़ा कर फोटो ली और उसे वायरल किया. दुर्ग समेत लगभग सभी जिलों की सीमाओं को पुलिस ने सील कर दिया है. इसके अलावा गौरेला पेंड्रा मारवाही में कलेक्टर खुद डंडा लेकर सड़क पर लोगों को समझाइस देते नजर आईं.

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