मूर्ति विसर्जन बना यमुना के लिए संकट, लोगों पर मंडरा रहा घातक बीमारियों का खतरा

 
नई दिल्ली
 यमुना की स्वच्छता का काम देख रही एक निगरानी समिति ने कहा है कि सिंथेटिक सामग्री से बनी और घातक पेंट से रंगी मूर्तियों के विसर्जन से यमुना में भारी धातु सांद्रण कई गुना बढ़ गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने समिति को अवगत कराया कि गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन और छठ पूजा के दौरान होने वाली धार्मिक गतिविधियों ने नदी को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। समिति ने कहा कि यह अस्वीकार्य और खतरनाक’’ है।

 साल में नौ महीने सूखी रहती है यमुना
निगरानी समिति ने कहा है कि यमुना जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही है’’ और न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह सुनिश्चित किए जाने तक इसके पुनरुद्धार की संभावना नहीं है क्योंकि असल में इसका प्रवाह ठहर गया है और कई जगहों पर यह साल में नौ महीने सूखी रहती है। समिति ने सुझाव दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों और नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए तथा उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
 

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