मुस्लिम बहुल इलाकों में जमकर चला PM मोदी का जादू

भोपाल
यह आम धारणा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अल्पसंख्यक वोट हासिल नहीं होते लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों ने इस धारणा को तोड़ा है. इस बार के लोकसभा चुनाव में कुल 27 मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर संसद में पहुंचे हैं. लोकसभा की 84 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. उन 84 सीटों में से 34 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. वहीं, मुस्लिम बहुल 84 सीटों में से 39 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कैंडिडेट को जीत मिली.

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को पूरब, पश्चिम और उत्तर भारत सहित सभी जगहों पर मुसलमानों का वोट मिला. उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बहुल 18 सीटों में से 10 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुस्लिम बहुल 18 सीटों में से 4 सीट पर भी बीजेपी ने जीत हासिल की. बात यदि असम की करें तो 8 मुस्लिम बहुल सीटों में से बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत का परचम लहराया. इसी तरह जम्मू और कश्मीर की मुस्लिम बहुल दोनों सीटों पर भी बीजेपी को जीत मिली.

बिहार की मुस्लिम बहुल 9 सीटों में से 8 पर एनडीए के कैंडिडेट जीते. महाराष्ट्र पर एक नजर डालें तो यहां पर भी मुस्लिम बहुल 4 सीटों में से 3 सीटों पर एनडीए को कामयाबी मिली. इसी तरह मध्य प्रदेश की अल्पसंख्यक बहुल दोनों सीटें बीजेपी की खाते में आईं. हरियाणा की अल्पसंख्यक बहुल 2 और दिल्ली की एक सीट पर बीजेपी का कमल खिला. हालांकि, इसके बावजूद भी सियासी विरोधियों को एनडीए की ये जीत पच नहीं रही है.

लोकसभा चुनाव के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि अल्पसंख्यक समुदाय में मोदी सरकार की नीतियों के प्रति झुकाव बढ़ा है. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में तीन तलाक के मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर मु्स्लिम महिलाओं के वोटों का रुख अपनी पार्टी की तरफ मोड़ने की कोशिश की थी. अब इस बिल को बीजेपी राज्यसभा में पास कराने की तैयारी में है.

कहा जाए तो मोदी सरकार से तीन तलाक मुद्दे पर मुस्लिम महिलाएं जुड़ीं. वहीं, उज्ज्वला योजना से गरीब मुस्लिम महिलाएं जुड़ीं. गरीब मुसलमानों को सरकार के आयुष्मान योजना से काफी लाभ मिला. रिपोर्ट के अनुसार, पीएम आवास योजना और शौचालय योजना की वजह से भी मुस्लिम समुदाय बीजेपी से जुड़ा. इसके बाद भी मोदी सरकार मुसलमानों के लिए कई घोषणाएं कर उनका विश्वास जीतने की कोशिश कर रही है.

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