मुख्य आरोपी पूर्व कुलपति बीके कुठियाला को राहत, सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कुर्की पर रोक

भोपाल
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (MCU) महाघोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व कुलपति बीके कुठियाला (Former Vice Chancellor BK Kuthiala) को भोपाल जिला कोर्ट (Bhopal District Court) से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उनकी कुर्की की कार्रवाई को रोक दिया है और ये तब तक रूकी रहेगी, जब तक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लगी अग्रिम जमानत याचिका पर कोई फैसला नहीं आ जाता.

एमसीयू में हुए घोटाले के मुख्य आरोपी बीके कुठियाला हैं. आरोप है कि उन्होंने कुलपति के पद पर रहते हुए यूनिवर्सिटी में कई घोटाले किए हैं. यात्रा से लेकर प्रमोशन तक में आर्थिक अनियमितता का आरोप है.

ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में कुठियाला की कुर्की की कार्रवाई करने के लिए आवेदन दिया था. कोर्ट ने आज मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए. जब तक सुप्रीम कोर्ट में लगी अग्रिम जमानत याचिका का फैसला नहीं आ जाता, तब तक किसी तरह के कुर्की की कार्रवाई पर जिला कोर्ट से फैसला नहीं दिया जाएगा. अब मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को है. जिला कोर्ट में अगली सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई हो जाएगी.एक तरह से कुछ दिनों के लिए कोर्ट ने कुठियाला को राहत दी है.

ईओडब्ल्यू ने एमसीयू के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला समेत बीस आरोपियों पर एफआईआर दर्ज की थी. कुठियाला के छोड़कर बाकी के आरोपियों की प्रशासनिक जांच यूनिवर्सिटी की टीम कर रही है. कुठियाला पर आपराधिक आरोप है, इसलिए उनसे पूछताछ के लिए ईओडबल्यू की टीम ने उनके चड़ीगढ़ स्थित घर के साथ कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी थी. जब वह कहीं नहीं मिले, तो उन्हें कई बार नोटिस भी भेजा गया. नोटिस का जबाव मिला जरूर, लेकिन पूछताछ के लिए कुठियाला ने कई बहाने बनाए. ऐसे में ईओडब्ल्यू ने कुठियाला को फरार घोषित कर दिया. कोर्ट ने भी उनके फरारी की उद्घोषणा कर दी.

इस कार्रवाई के बाद ईओडब्ल्यू ने कुर्की की कार्रवाई के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. कुर्की की कार्रवाई से बचने के लिए कुठियाला कोर्ट में भी पेश हुए और ईओडब्ल्यू के ऑफिस भी पूछताछ के लिए पहुंचे. ऐसे में कोर्ट ने कुर्की की कार्रवाई को लेकर सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलों को सुना. कोर्ट ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कोई भी फैसला नहीं सुनाने का निर्णय लिया है.

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