मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर सिंधिया ने तोड़ी चुप्पी

भोपाल
 लोकसभा चुनाव के छठे चरण के रण के लिए 12 मई को मतदान होना है। इसमे गुना सीट भी शामिल हैं। यहां से सिंधिया ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने का कोई पछतावा नहीं है। न मेरे पिता कभी सत्ता के लिए राजनीति में आए थे न ही मैं। यहां मैं जनता की सेवा के लिए राजनीति में हूं। मैं अपने क्षेत्र की जनता के विश्वास पर खरा उतरने की कोशिश करता हू।

दरअसल, विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल से कांग्रेस को 22 सीटों मिली हैं। यहां से बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया। इसके पीछे सिंधिया की मेहनत और उनकी रणनीति का असर रहा। जिस वजह से कांग्रेस वह सीटें भी जीतने में कामयाब हुई जिनपर उसका कब्जा दश्कों से नहीं था। सिंधिया इस बारे में कहा है किं, ' दिसंबर 2018 मेरे लिए परीक्षा से कम नहीं था। पार्टी के जीतने पर मैंने दो मिनट से कम समय में यह तय कर लिया था कि मैं कोई पद नहीं लूंगा, मैंने कहा था कि कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। यह बात बात सच है कि कांग्रेस का प्रदर्शन मेरे क्षेत्र में काफी अच्छा रहा है। अंचल में आजा़दी के बाद पार्टी को यहां से इतनी सीटों मिलीं हैं। जैसे नागपुर बीजेपी की गढ़ है वैसे ही ग्वालियर चंबल भी बीजेपी का अभेद किला बन चुका था, लेकिन हम यहां से 80 फीसदी सीटें जीते जो आसान बात नहीं थी।'

जब उनसे पूछा गया कि इसबार लोकसभा चुनाव में एमपी में कांग्रेस को कितनी सीटों मिलेंगी। इस सवाल का जवाब में उन्होंने कहा कि,' मैं कोई ज्योतषी नहीं हूं इसलिए मैं इस बात का दावा नहीं कर सकता कि पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगे। लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि बीते 20 सालों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा है।'

विपक्ष मुक्त गुना करने के सवाल पर सिंधिया ने कहा कि, " बीजेपी की तरह मैं यह विचार नहीं रखता कि विपक्ष की मौजूदगी न रहे। यह बात सत्य है कि पूर्व बीजेपी सरकार में मंत्री रहे के एल अग्रवाल हमें समर्थन कर रहे हैं। और भी कई बीजेपी नाताओं ने कांग्रेस ज्वाइन कि है क्योंकि उन्हें पार्टी में विश्वास है। "

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