मीलों पैदल चलकर भी अब अपने घर नहीं पहुंच पाएंगे बिहार के मजदूर
पटना
लॉकडाउन के दौरान देश में हो रहे भारी मात्रा में पलायन को देखते हुए बिहार सरकार ने अपने बॉर्डर को एक प्रकार से सील कर दिया है और बाहर से आने वाले लोगों को बॉर्डर पर बने राहत कैम्पों में रखने की व्यवस्था कर रही है. रविवार को बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की मीटिंग कर लाॉकडाउन को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया.
संदेश साफ है कि किसी को बिहार आने की इजाजत नहीं होगी. जो लोग बिहार बॉर्डर पहुंच गए हैं या जो रास्ते में हैं उनके लिए बॉर्डर पर ही रहने और खाने-पीने की व्यवस्था है. उनका इलाज भी वहीं होगा.
बिहार के डीजीपी गुप्तेशवर पांडेय ने कहा कि लॉकडाउन का मतलब लॉकडाउन होता है. पलायन दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमने तैयारी भी पूरी कर ली है. डीजीपी ने पहले भी कहा है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले लोगों का नाम गुंडा रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा.
यहां तक उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले लोग लॉकअप में भेजे जा सकते हैं. आज कोरोना पर आयोजित मीटिंग के बाद डीजीपी ने कहा कि देशभर में लॉकडाउन के बाद हो रहा पलायन दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि बिहार से बाहर जो भी लोग हैं, उन्हें वहां ठहर जाना चाहिए, नहीं तो संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा है कि जिस तरीके से दिल्ली, राजस्थान और मुंबई से बिहार के लोग पलायित होकर घर वापस लौट रहे हैं यह सही नहीं हैं.
स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी गृह मंत्री अमित शाह से पलायन रोकने की मांग की थी. लेकिन आज यानी रविवार को कहा गया है कि जो लोग भी आ रहे हैं उन्हें बिहार की सीमा पर कैंप में रखा जाएगा और उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी. बिहार में विदेशो से आए करीब 5500 लोगों की पहचान कर उन्हें क्वॉरनटीन किया गया, साथ ही उनकी जांच भी की जा रही है.