मिशन गगनयान: ISRO ने एयरफोर्स को दी 10 अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी

 नई दिल्ली 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आखिरकार भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के 10 क्रू मेंबर्स के चुनाव और प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को जिम्मेदारी सौंपी है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में ISRO चेयरमैन के. सिवन ने कहा, 'हमने क्रू सिलेक्शन एवं ट्रेनिंग से जुड़े सभी मानदंडों और जरूरतों को तय कर दिया है और इसे इंडियन एयरफोर्स को सौंप दिया गया है। ट्रेनिंग के पहले 2 चरण इंडियन एयरफोर्स के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसिन (बेंगलुरु) में होंगे और उसके बाद आखिरी चरण की ट्रेनिंग विदेश में होगी।' 

क्रू में कितने सदस्य शामिल होंगे, इस सवाल के जवाब में सिवन ने कहा, 'हम चाहते हैं कि एयरफोर्स गगनयान मिशन के लिए 10 कैंडिडेट को प्रशिक्षित करें। उनमें से 3 को हम अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए चुनेंगे।' क्रू की विदेश में ट्रेनिंग के सवाल पर चेयरमैन ने कहा कि उनके दिमाग में रूस, फ्रांस जैसे 2-3 देश हैं लेकिन अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। 

आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज से जुड़ा इंस्टिट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसिन (IAM) भारत और दक्षिण-पूर्वी एशिया का इकलौता ऐसा संस्थान है जो ऐरोस्पेस मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च करता है। यह ऐरोस्पेस मेडिसिन पर रिसर्च करता है और पायलटों को प्रशिक्षित करता है। पहले इस इंस्टिट्यूट का नाम एविएशन मेडिसिन था और इसने 1980 के दशक में भारत-सोवियत रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को मेडिकल सपॉर्ट दिया था। एक एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल बिपिन पुरी ने कहा है कि IAM में मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर आधुनिक है और इसी वजह से ISRO चाहता है कि यह गगनयान मिशन के लिए क्रू मेंबर्स को प्रशिक्षित करे। 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस समारोह पर अपने संबोधन में यह घोषणा की थी कि भारत गगनयान के जरिए 2022 तक एक अंतरिक्ष यात्री को भेजने की (अंतरिक्ष में) कोशिश करेगा। इस अभियान के सफल होने पर भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा। गगनयान टीम के प्रथम मानवरहित मिशन की योजना दिसंबर 2020 के लिए है, वहीं अंतरिक्ष में प्रथम मानव को दिसंबर 2021 तक भेजा जाएगा। ISRO की योजना 3 अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में 7 दिनों के लिए भेजने की है। इस मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 2022 में इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। 

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