मिलकर भी हम न मिले…महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी-शिवसेना साथ, पर पोस्टरों में नहीं
मुंबई
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन हमेशा चर्चा का विषय रहता है. दोनों पार्टियों के गठबंधन में होने के बावजूद ऐसे बयान और तस्वीरें नजर आती रहती हैं जो ऑल इज नॉट वेल की बहस को जन्म देती हैं. अब जबकि मतदान का वक्त नजदीक है और दोनों पार्टियां मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं तो ऐसे में बीजेपी और शिवसेना के पोस्टरों ने सबका ध्यान खींचा है.
चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी और शिवसेना ने जो पोस्टर लगाए हैं, उनमें गठबंधन की जगह 'एकला चलो रे' की झलक दिखाई दे रही है. मुंबई ही नहीं पूरे महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों के होर्डिंग्स अलग-अलग नजर आ रहे हैं. शिवसेना के पोस्टर में बाला साहेब, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे दिखाई दे रहे हैं तो बीजेपी के पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रमुखता से नजर आ रहे हैं. यानी दोनों पार्टियों के नेता पोस्टरों में एकसाथ नहीं हैं.
सरकार के कामकाज का गुणगान भी अकेले
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार के पांच साल का कामकाज भी बीजेपी के पोस्टरों में प्रचारित किया जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी और शिवसेना की सरकार पांच साल चली है, लेकिन सरकार के कामकाज को भी बीजेपी-शिवसेना का संयुक्त रूप से नहीं दर्शाया गया है.
साथ नहीं आया घोषणा पत्र
गठबंधन के ऐलान के साथ ही ये भी कहा गया था कि बीजेपी और शिवसेना का घोषणा-पत्र एक साथ जारी किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शिवसेना ने अपना अलग घोषणा-पत्र जारी कर दिया और अपने एजेंडे के तहत लोक-लुभावन वादे भी कर डाले. शिवसेना ने गरीबों को पौष्टिक भोजन 10 रुपये में देने और सिर्फ एक रुपये में 200 स्वास्थ्य परीक्षण कराने जैसे वादे किए हैं.
दोनों दल अपने-अपने रास्ते
बीजेपी और शिवसेना के ये पोस्टर जाहिर कर रहे हैं कि दोनों दल एक साथ होने के बावजूद अपने-अपने दम पर चुनाव मैदान में हाथ आजमाना चाहते हैं. बीजेपी जहां देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश कर चुकी है, वहीं शिवसेना की नजर भी सरकार के शीर्ष पद पर है. शिवसेना के पोस्टरों में ठाकरे परिवार से पहली बार चुनाव लड़ रहे आदित्य ठाकरे को भी इसी अंदाज में पेश किया जा रहा है. शिवसेना ने अपने वादों के साथ पोस्टरों में आदित्य ठाकरे को आगे किया है.
यानी बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन में होने के बावजूद प्रचार में 2014 वाली तस्वीर नजर आ रही है, जब दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. नतीजों के बाद दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार का गठन कर लिया था, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों में सीटों को लेकर तो सहमति बन गई है, लेकिन चुनाव लड़ने का तरीका वही पुराना दिखाई दे रहा है. ऐसे में ये देखना भी दिलचस्प होगा कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार बनने की स्थिति में क्या नए समीकरण उभरकर आते हैं.