मिठाई बेचने को मजबूर हुआ मिस्त्र का फुटबॉल खिलाड़ी

नई दिल्ली
मिस्त्र का मशहूर प्रोफेशनल फुटबॉल खिलाड़ी महरौस महमूद कोरोना वायरस महामारी के चलते गली में खाने का सामान बेचने को मजबूर है। कभी मैदान पर पसीना बहाने वाला यह खिलाड़ी अब सड़क पर अलग तरीके से पसीना बहा रहा है। अगर स्थितियां सामान्य होतीं तो साल के इस वक्त महमूद मिस्र के दूसरे डिवीजन के एक क्लब बेनी सूफ के लिए एक डिफेंडर के तौर पर मैदान पर खेल रहा होता। लेकिन अरब दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के लाखों लोगों की तरह महमूद भी कोरोनो वायरस महामारी की चपेट में आ गया है।

इन दिनों महरौस महमूद ऊपरी मिस्त्र की एक भीड़ भरी मार्केट में काम कर रहा है। वह एक  पैनकेक जैसी पेस्ट्री (स्वीट डिश) तैयार बनाने का काम कर रहा है। यहां दुकान के स्टॉल के पास हलचल काफी और और लोग कंधे से कंधा टकराते हुए चल रहे हैं। महामारी से पहले महमूद ने अपने क्लब के लिए खेलते हुए लगभग 200 डॉलर प्रति माह कमाए थे। यह उनके परिवार (जिसमें तीन लोग हैं) का पेट भरने का लंबे वक्त तक काम करता रहा, लेकिन उन्होंने परिवार को पालने के लिए इसके अलावा कुछ पार्ट टाइम नौकरियां भी की।

मार्च के मध्य में लीग बंद हो गई और महमूद की कमाई का मुख्य जरिया भी खत्म हो गया। मिस्र ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकारी प्रयास के तहत कर्फ्यू लगाया। कैफे, मॉल और अन्य दुकानें सभी को बंद कर दिया गया। उनके क्बल ने खिलाड़ियों को कहा कि जब तक खेल नहीं लौटता, वे घर पर ही रहें।

लेकिन यह महमूद या नील नदी क्षेत्र के कई अन्य लोगों के लिए एक विकल्प नहीं है। उनके परिवार को खाना चाहिए। महमूद ने कहा, ''अपने परिवार का पेट पालने के लिए मुझे किसी भी तरह का काम करना चाहिए।'' काहिरा के दक्षिण में 350 किलोमीटर (230 मील) की दूरी पर स्थित, मैनफालूट में बाजार पूरे महामारी में खुला हुआ है। रमजान के महीने में इस बाजार की दुकानों में काफी हलचल है।

महमूद जो छोटे पैन केन बना रहे हैं उन्हें अरबी में कतायफ कहते हैं। रमजान में यह मिठाई खासी लोकप्रिय होती है। देश का आंशिक लॉकडाउन लागू होने के काफी समय बाद भी महमूद अपने गृहनगर लौट आए। उन्होंने नौकरियों की तलाश की, लेकिन केवल निर्माण कार्यों में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम पा सकते थे। संकट से पहले, उन्हें निर्माण स्थलों पर नियमित काम मिल सकता था। आमतौर पर एक दिन में 7 डॉलर से अधिक नहीं होता था। लेकिन अब वह कहते हैं कि वह भाग्यशाली होंगे यदि उन्हें सप्ताह में दो दिन भी काम मिल सकता है तो। इसके बाद रमजान आ गया और उन्हें मिठाई की दुकान पर काम मिल गया।

मैनफालूट में अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। घर पर रहना और सामाजिक दूरी बनाना व्यवहारिक नहीं है। मिस्र के ग्रामीण और गरीब हिस्सों में इस महामारी के घातक रूप लिया है। वहां लोग बीमारी से ज्यादा इलाज को बदतर मानते हैं।

28 साल के महमूद घर के बड़े बेटे हैं। उनके पिता पार्ट टाइम ड्राइवर थे, लेकिन दिल की बीमारी की वजह से रिटायर हो चुके हैं। वह अपने पिता, माता और भाई को सपोर्ट कर रहे हैं। महमूद का परिवार तीन मंजिला मकान के एक कमरे में रहता है। वह अपने चाचाओं के 6 परिवारों के साथ इस घर को शेयर कर रहे हैं।

कम उम्र में ही महमूद का टैलेंट दिखने लगा था। उन्होंने एक लोकल क्लब में बतौर बॉक्सर शुरुआत की। इसके बाद वह हैंडबॉल में चले गए। इसके बाद 16 साल की उम्र में वह प्रोफेशनल फुटबॉलर बन गए। निकनेम कॉमपनी के नाम से मशहूर महमूद ने कहा, कोच ने कहा कि मैं एक अच्छा डिफेंडर बन सकता हूं। महमदू लीवरपूल के डिफेंडर विर्जिल वान इजेक को अपना रोल मॉडल मानते हैं।

महमूद ने अपनी टीम को लीग में टॉप में ले जाने में मदद की। इस बीच वह खतरों के बावजूद काम भी करते रहे। अगले महीन महमूद की शादी होनी है। ऐसे में परिवार और शादी के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है। महमूद ने कहा, ''कोई भी इम्युन नहीं है। लेकिन मेरे जैसे और मेरे परिवार जैसे लोगों को जीना ही होगा।''

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