मासूम अवनि के लिए डॉक्टर बना वरदान

रायपुर
मासूम अवनि और उसके माता पिता को यह नहीं मालूम था कि आखिर बच्ची को तकलीफ किस बात की है। शरीर में दर्द होने, सर्दी-खांसी व सामान्य बुखार समझकर वे डॉक्टरों को दिखाते रहे लेकिन किसी को नहीं पता चला कि बच्ची की रीढ़ की तीन हड्डियां जन्मजात अधूरी बनी हैं और उसी के कारण शारीरिक परेशानियां हो रही थी। यहां तक मुंबई, दिल्ली व नागपुर तक दिखा आए। इस बीच एमआरआई कराया तो पता चला कि उक्त तकलीफ है। उम्र के साथ पीठ पर उभार दिखने लगा, आपरेशन तो तय दिख रहा था लेकिन लोग भ्रमित कर रहे थे। आखिर में स्पाइन सर्जन डॉक्टर हर्षित गोयनका ने 3.7 साल की बच्ची का आपरेशन किया और आज वह स्वस्थ ही नहीं बल्कि दौड़ रही है, डांस कर रही है।

यह पीड़ा झेलने वाले अवनि के पिता रायपुर निवासी विकास ठाकुर इन दिनों में गुजरे पल को याद कर भावुक हो जाते हैं। बच्ची की शरीर का एक हिस्सा झुकने भी लगा और पीठ पर उभार भी बढ़ रहा था जब आपरेशन का सोंचते तो लोग कहते कि पैर का निचला हिस्सा शून्य हो सकता है, ग्रोथ नहीं होगा इत्यादि। इस बीच डाक्टर हर्षित गोयनका को पूरी रिपोर्ट दिखाई और उन्होंने कहा कि कोई रिस्क नहीं है आपरेशन करेंगे। डॉ. गोयनका ने बताया कि छत्तीसगढ़ में यदि इसे सामान्य भाषा में समझें तो कूबड़ निकलना कहते हैं जो कि शरीर में कुछ लोगों को कुदरती होता है। यदि जनसंख्या के हिसाब से देखें तो प्रदेश में 0.3 फीसदी लोगों में यह प्राब्लम है। मरीज अधिक खर्च समझकर इसका उपचार कराने से कतराते हैं, लेकिन रायपुर में ही बड़े शहरों की तुलना कम खर्च पर इसका उपचार संभव है। हम देशी स्क्रू का उपयोग करते हैं और कभी कोई परेशानी नहीं आई, जहां विदेशी स्क्रू डाला जाता है खर्च भी स्वमेव बढ़ जाता है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर मरीज तब आता है जब उम्र 14-15 साल हो जाती है जबकि 6 से 12 साल के बीच सर्जरी हो जाए तो ज्यादा अच्छा होता है ताकि इसे आगे बढ?े से रोका जा सकता है। जहां तक अवनि ठाकुर का सवाल है, उसकी रीढ़ की तीन हड्डियां जन्म से ही अधूरी बनी थी। जबकि रीड की 33 हड्डियों का बैलेंस बराबर होना जरूरी होता है। इसलिए बैलेंस करने पहले एक हड्डी को निकाला, दूसरे तरफ स्कीनिंग कर स्क्रू डाला। न्यूरो और आर्थो को साथ लेकर आपरेशन करीब 4 से 5 घंटे चला। आपरेशन के बाद करीब छह दिन बच्ची हॉस्पिटल में रही, बीच-बीच में चेक अप के लिए आ रही है लेकिन 12 साल की उम्र के बाद फिर से पूरी जांच करेंगे। बच्ची अभी पूरी तरह से स्वस्थ है और उन्हे अन्य साइड से कोई परेशानी नहीं हैं। अवनि के पिता विकास बताते हैं कि उभार खत्म हो गया है और कर्व भी लगभग आधा ही बचा है। बच्ची को कोई भी परेशानी आपरेशन के बाद नहीं हैं और बच्चों की तरह वह भी उछल कूद करती है-डांस करती है और अब तो स्कूल जाने की जिद भी करती है। डॉ. गोयनका ने उनकी बच्ची को एक नया जीवन दिया है।

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