मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत कराने की कोशिश में ड्रैगन

  बीजिंग
चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों के पीड़ित परिवारों को बुधवार को शांत करने का प्रयास किया। हालांकि, चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता कि झड़प में उसके सैनिकों की मौत हुई थी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन की ओर से लिखा गया है, "सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ मृतकों के साथ व्यवहार किया गया है और यह जानकारी आखिर सही समय पर समाज को दी जाएगी, ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके और उन्हें याद किया जा सके।"

 चीन में दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों के विपरीत, उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके बाद संपादकीय में यह बात कही गई है। हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है कि लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं मगर शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है।
 
भारत के कड़े विरोध के बावजूद चीन की सेना ने एक बार फिर पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के आसपास कुछ ढांचा खड़ा किया है। पिछले कुछ दिनों से चीन गलवान घाटी पर अपना दावा किया है जिसे भारत ने खारिज कर दिया है। पैंगोंग सो और गलवान घाटी के अलावा दोनों सेनाएं देमचॉक, गोगरा हॉट स्प्रिंग और दौलत बेग ओल्डी में भी आमने सामने हैं। बड़ी संख्या में चीन के सैनिकों ने एलएसी पर भारत की सीमा में घुसपैठ की।

15 जून के बाद से खाली थी पोस्ट
बताया जा रहा है कि पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास 15 जून को हुई हिंसा के बाद से यह पोस्ट चीन ने खाली कर दी थी। यहां थोड़ी संख्या में ही चीनी सैनिक तैनात थे। इस बीच बातचीत की आड़ में चीन ने फिर एक बार इस पोस्ट पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। इतना ही नहीं, इस पोस्ट तक भारी वाहनों को लाने के लिए चीन ने एक सड़क का भी निर्माण किया है।

पोस्ट तक आने के लिए चीन ने बनाई सड़क
चीन ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 तक आने के लिए एक सड़क का भी निर्माण किया है। सैटेलाइट इमेज से इसका खुलासा हुआ है कि चीन ने नदी के किनारे-किनारे धारा के प्रवाह को रोकते हुए सड़क बनाई है। इस सड़क के किनारों पर चीनी सेना के कई आउटपोस्ट भी नजर आ रहे हैं। वहीं चीन की भारी मशीनरी भी दिखाई दे रही हैं।

कराकोरम दर्रे और दौलत ओल्ड बेगी पर चीन की नजर
सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी और पैंगोग सो के बाद अब वह दौलत बेग ओल्डी में भी भारतीय सेना की गश्त में बाधा डाल रहा है। चीन ने दौलत बेग ओल्डी और डेस्पांग सेक्टर के पास अपने तंबू गाड़ दिए हैं। वहां चीनी सेना के बेस में हलचल तेज हो गई है। जून की सैटेलाइट तस्वीरों में इसका खुलासा हुआ है। वहां चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने भी वहां अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।

पीछे नहीं हटी चीनी सेना
अमेरिकी स्पेस टेक्नोलॉजी फर्म मैक्सार टेक्नोलॉजीज से मिली सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि चीन की सेना गलवान घाटी से पीछे नहीं हटी है। 15 जून को जहां दोनों सेनाओं में हिंसक झड़प हुई थी। सूत्रों का कहना है कि चीन कराकोरम दर्रे के पास के इलाके में भी घुसपैठ करना चाहता है। यह दर्रा सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है।

चीन से इन प्वाइंट पर है विवाद
पेंगोंग सो और गलवान घाटी के अलावा दोनों देश की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के देमचोक, गोगरा हॉट स्प्रिंग और दौलत बेग ओल्डी में भी गतिरोध जारी है। बड़ी संख्या में चीनी सेना के जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर आ गए थे। यह जानकारी देने वाले लोगों ने बताया कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महत्वपूर्ण सेक्टरों पर सैनिकों की संख्या और हथियार दोनों बढ़ा दिए हैं।

बातचीत के बीच एलएसी पर सेना बढ़ा रहा चीन
बता दें कि चीन ऐसे वक्त में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है जब दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक वार्ता जारी है। दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों की सोमवार को बैठक हुई जो करीब घंटे चली और इस दौरान दोनों पक्षों में सहमति बनी कि वे पूर्वी लद्दाख में सभी संघर्ष बिन्दुओं पर गतिरोध को धीरे-धीरे कम करेंगे। दोनों पक्षों के बीच बुधवार को कूटनीतिक वार्ता भी हुई।
 

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