मारुति सुजुकी में 3,000 लोगों की नौकरियां गईं
नई दिल्ली
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव ने मंगलवार को कहा कि कंपनी ने 3000 अस्थायी कर्मचारियों का कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब ऑटो इंडस्ट्री मांग में भारी गिरावट से गुजर रही है। कंपनी की वार्षिक आम बैठक में भार्गव ने शेयरहोल्डर्स को बताया, 'कारों की कीमतों में सुरक्षा मानदंडों और भारी टैक्स को जोड़ दिया गया है जो ग्राहकों के खरीदने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है।' बता दें, ऑटो मैन्युफैक्चरर्स संगठन सियाम ने कहा है कि स्लोडाउन के कारण ऑटो कंपनियां अब तक करीब 20 हजार लोगों को नौकरी से निकाल चुकी हैं। वहीं, 13 लाख लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
CNG कारों में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी
शनिवार को रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि जुलाई में 9 महीने से लगातार ऑटो सेल्स में गिरावट देखने को मिल रही है। कई वाहन निर्माता कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं या उत्पादन को अस्थायी रूप से रोक रहे हैं। सुजुकी सरकार की इलेक्ट्रिक वीइकल की योजना पर भी काम कर रही है। भार्गव ने आगे बताया कि इस साल मारुति, सीएनजी कारों की संख्या में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी कर रहा है।
क्या हैं कारण
जुलाई में पैसेंजर वीइकल्स का उत्पादन करीब 17 पर्सेंट कम रहा। देश में तेजी से उपभोक्ता वस्तुओं की मांग घट रही है, जो आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत है। पिछले कुछ महीनों में मांग घटने की रफ्तार तेज हुई है और सबसे अहम बात यह है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे एनबीएफसी के पास ऑटो डीलरों और कार खरीदारों को कर्ज देने के लिए फंड नहीं है।
इसके अलावा, नोटबंदी का असर, जीएसटी के तहत ऊंची टैक्स दरें, ऊंची बीमा लागत और ओला-ऊबर जैसी ऐप बेस्ड कैब सर्विस में तेजी और कमजोर ग्रामीण अर्थव्यवस्था ऑटो इंडस्ट्री के घटते बिक्री आंकड़ों के पीछे प्रमुख कारण हैं।