माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में 45 प्रोफेसर को 85 प्यून पीला रहे पानी 

भोपाल 
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में प्यून की भरमार बनी हुई है। इससे ये विवि विद्यार्थी नहीं बल्कि प्यून के लिए समर्पित हो गया है। विगत दस वर्षों में करीब पचास फीसदी प्यून की भर्ती की गई है। जबकि विवि परिसर में लगने वाले आठ विभागों में महज 45 प्रोफेसर ही कार्यरत हैं। ये भर्ती दो कुलपतियों के कार्यकाल में हुई है। 

एमसीयू में मनमर्जी का सिक्का खुब चला है। शासन से हटाकर बने एक्ट का फायदा कुलपतियों ने खूब उठाया है। इसके चलते धड़ल्ले से भर्तियां होती रहीं। इसका सबसे ज्यादा असर प्यून की भर्ती में देखने को मिलता है। सबसे ज्यादा भर्ती दो बार कार्यकाल हासिल करने वाले कुलपति बृजकिशोर कुठियाला के समय में की गई हैं। जबकि कुछ ही समय रहे जगदीश उपासने ने बहती गंगा में हाथ धोते हुए करीब आधा दर्जन प्यून को नियुक्त कर दिया। 

प्रदेश के अन्य विवि में प्यून नियुक्त किए गए हैं। उनके पास दो दर्जन से ज्यादा विभाग हैं। इससे उनकी संख्या डेढ़ सौ के आसपास है, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र आठ से दस जिलों में होता है। एमसीयू में ही 85 प्यून रखे गए हैं। ये संख्या निमियमितीकरण के बाद पहुंची है। 

विवि के पांच सेंटरों में नोएडा, खंडवा, दंतिया, रीवा और अमरकंडक में अलग से प्यून नियुक्त किए गए हैं। ग्वालियर का सेंटर सफल नहीं होने के कारण विवि ने उसे बंद कर दिया। इसकी वजह रजिस्ट्रार रहते हुए दीपक शर्मा ने अपने मित्र को उपकृत करने के लिए उनके भवन को किराए पर लेकर सेंटर संचालित करा दिया। जबकि जहां भवन स्थापित किया गया। जबकि भवन सेंटर संचालित करने की स्थिति में भी नहीं था। इसकी जांच करने की मांग उठाई जा रही है। 

कुलपति कार्यालय और निवास पर छह प्यून और दो ड्राइवर रखे गए थे। रैक्टर के लिए चार प्यून और एक ड्रारवर दिया गया था। पूरे विवि में आठ शैक्षणिक और तीन प्रशासनिक विभाग हैं। इसमें लेखा, परीक्षा और प्रशासनिक शामिल हैं। वहीं एक प्यून को सीएम सचिवालय में रखा गया था। 

पूरा एमसीयू एक भवन में ही संचालित होता है। प्रशासनिक कार्य देखने के लिए करीब 310 कर्मचारी, करीब 150 बाबू और करीब डेढ़ दर्जन अधिकारी कार्यरत हैं। जबकि टिचिंग कार्य के लिए करीब 45 प्रोफेसरों को नियुक्त किया गया है। 

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