महासमुंद में फ्लॉप रही शासन की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’

महासमुंद 
शासन की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्जवला योजना रिफिलिंग की अच्छी व्यवस्था नहीं होने और महंगाई के कारण महासमुंद जिले में ये योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसा हम नहीं बल्कि शासकीय आंकड़े बयां कर रहे हैं. शासकीय आंकड़ों के मुताबिक बीते दो वर्षों में मात्र 10 प्रतिशत ही हितग्राहियों ने अपना सिलेंडर रिफिलिंग कराया है. हितग्राही इसके पीछे महगांई और रिफिलिंग की अच्छी व्यवस्था का नहीं होना बता रहे हैं.

जंगलों की अंधाधुंध कटाई रोकने और महिलाओं को धुएं से राहत दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना अब अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर पा रही है. बता दें कि महासमुंद जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी. तब से लेकर आज तक जिले के डेढ़ लाख हितग्राहियों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ दिया गया, लेकिन बीते 2 वर्षों में 10 प्रतिशत (15 हजार हितग्राही) लोगों ने ही दोबारा सिलेंडर की रिफिलिंग कराई. 90 प्रतिशत यानी 1 लाख 35 हजार प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के हितग्राहियों ने आज तक दोबारा सिलेंडर की रिफिलिंग नहीं कराई. इसका मुख्य कारण महंगाई और सिलेंडर रिफिलिंग की अच्छी व्यवस्था का न होना है.

हितग्राहियों का कहना है कि मजदूरी कर वे किसी तरह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में 1100 रुपए का इतना मंहगा सिलेंडर वे कहां से भरा पाएंगे. इसलिए वे लकड़ी के चूल्हों पर ही खाना पकाते हैं.

वहीं इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के नोडल अधिकारी सुशील मुठरिया ने कहा कि 10 प्रतिशत ही सिलेंडर की रिफिलिंग होना स्वीकार करते हुए अपना ही राग अलाप रहे हैं.

गौरतलब है कि योजना को फ्लॉप होता देख कंपनियां अब 5 किलो का सिलेंडर बाजार में उतार रही हैं. साथ ही ये उम्मीद जताई जा रही है कि 5 किलो के सिलेंडर बाजार में आने से सिलेंडर रिफिलिंग कराने वालों की संख्या बढ़ेगी.

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