महाराष्ट्र में जलसंकट: पानी के लिए जान जोखिम में डाल ट्रेन के सफर पर जाते हैं मासूम

मुकुंदवाड़ी/औरंगाबाद
क्लास 2 में पढ़ने वाले 10 साल के सिद्धार्थ धागे हर दिन औरंगाबाद-हैदराबाद पैसेंजर ट्रेन से 14 किमी सफर करके जाते हैं सिर्फ दो कैन पानी के लिए। सिर्फ वही नहीं 12 साल की आयशा, 9 साल की साक्षी और उनके जैसे कई बच्चे परिवार के लिए पानी लाने एक खतरनाक सफर पर जाते हैं। अपनी उम्र से ज्यादा जोखिम उठाते हैं। मराठवाड़ा इलाके में पड़े सूखे की कहानी इन बच्चों के संघर्षों में साफ दिखती है।  

सूखे से लगभग 7000 गांव प्रभावित हैं। इस कारण लाखों औरतें और बच्चे कई किलोमीटर चलकर जाते हैं सिर्फ एक बाल्टी पानी के लिए। हालांकि, सिद्धार्थ जैसे बच्चे एक अलग ही जोखिम भरे सफर पर निकलते हैं। सिद्धार्थ दोपहर को घर से निकलते हैं, मुकुंदवाड़ी रेलवे स्टेशन तक पैदल चलकर जाते हैं, औरंगाबाद सिटी स्टेशन की ट्रेन पर चढ़ते हैं। वहां स्टेशन पर लगे नलों से अपने कैन भरते हैं। वह शाम को 5:30 बजे तक घर वापस पहुंचते हैं। यह सफर एक ओर से 7 किमी का ही है लेकिन ट्रेन अकसर 3 घंटे लेट होती है। 

ट्रेन पर चढ़ने में लगती हैं चोटें 
सिद्धार्थ, आयशा और साक्षी और दूसरे बच्चे पेड़ के नीचे ट्रेन का इंतजार करते हैं लेकिन जब ट्रेन आती है तो उसमें चढ़ने के लिए सिर्फ कुछ ही मिनट का समय होता है। कई बार चढ़ने में धक्का-मुक्की होती है। पहले कई लोग इस दौरान घायल हो चुके हैं लेकिन हादसे और भी गंभीर हो सकते हैं। ट्रेन पर चढ़ने के बाद सिद्धार्थ जमीन पर ही जगह ढूंढते हैं और अपने कैन भर की जगह में ही सिमट कर बैठ जाते हैं। 

'अच्छा नहीं लगता, परिवार के लिए करना पड़ता है' 
औरंगाबाद स्टेशन पर सिद्धार्थ के पास पानी भरने के लिए 40 मिनट होते हैं। हालांकि, सबसे कठिन काम उसके बाद करना होता है। बिना कैन से पानी गिराए खचाखच भरी ट्रेन से वापस घर आना। इस उम्र में जब सिद्धार्थ को बाकी दोस्तों के साथ खेलना चाहिए, उन्हें परिवार के लिए पानी लाना होता है। उनके माता-पिता दोनों काम करते हैं। सिद्धार्थ कहते हैं, 'मुझे पानी लाना अच्छा नहीं लगता लेकिन परिवार के लिए करना पड़ता है।' 

सूख चुके हैं बोरवेल, पानी महंगा 
दूसरी ओर, निर्मला देवी नगर में छोटे-छोटे घरों में रहने वाले लोगों के लिए नगर पालिका का पानी नहीं आता। यहां 300 घरों में ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। ये लोग 60 रुपये में 200 लीटर पानी खरीदते हैं और कई बार चार दिन में एक बार आने वाले पालिका के पानी टैंकरों का मासिक किराया 1,150 रुपये पहुंच जाता है। लगभग सभी बोरवेल सूख चुके हैं और 35 परिवार इमर्जेंसी सप्लाई के पानी की कीमत भी नहीं चुका सकते। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *