मस्जिद के नीचे था एक मंदिर, ASI से पहले यूपी पुरातत्व विभाग ने दिए थे सुबूत
लखनऊ
अयोध्या में विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की खुदाई से पहले उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच अपने सर्वेक्षण में यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। यही तथ्य उच्चतम न्यायालय में अहम आधार साबित हुए।
उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक डॉ. राकेश तिवारी की मानें तो अयोध्या में विवादित स्थल पर वर्ष 1528 में मीर बाकी द्वारा बनाई गई बाबरी मस्जिद के निर्माण में टूटे हुए मंदिर के अवशेष लगाए गए थे।
तिवारी ने राज्य का पुरातत्व निदेशक रहते हुए 1990 में उच्च न्यायालय के आदेश पर विवादित ढांचे के भीतर और बाहर के हिस्सों का दस्तावेज तैयार किया था। इस दस्तावेज में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर वहां मिले चिन्हों, अवशेषों की एक सूची बनाई थी। इसमें करीब 100 रंगीन और श्वेत-श्याम फोटोग्राफ शामिल थे।
तिवारी 1989 से 2013 तक उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग में थे और वहां के निदेशक भी रहे। वर्ष 2013 में इस पद से रिटायर होने के बाद वह 2014 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक भी बने और इस पद पर उन्होंने 2017 तक कार्य किया। डॉ. तिवारी ने 'हिन्दुस्तान' से खास बातचीत में बताया कि विवादित ढांचे के भीतर पत्थर के करीब 14 खम्भे थे। इन खम्भों पर योगासन की मुद्रा में खंडित मूर्ति, कलश व मंदिर के अन्य अवशेष लगे हुए थे। यह पूरी सामग्री उन्होंने तत्कालीन प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय को सौंपी थी। इसके बाद 1990 से 1992 के दौरान (विवादित ढांचे के विध्वसं से पूर्व) डॉ. राकेश तिवारी ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के निर्देश पर विवादित स्थल के आसपास करवाए जा रहे समतलीकरण के कार्यों को दस्तावेज़ के रूप में बनाया था।
पुरातत्व विभाग की टीम को प्रदेश सरकार ने वहां जाकर दस्तावेजीकरण के आदेश दिए थे। डॉ. तिवारी बताते हैं कि दस्तावेज तैयार करने के दरम्यान वहां विवादित स्थल के आसपास समतलीकरण के दौरान की गई खुदाई में शिव की त्रिशूल वाली मूर्ति मिली, नागा शैली के मंदिर के अवशेष मिले। इनमें ‘आमलक’ मुख्य था जो मंदिर के शिखर पर लगाया जाता है और आंवले के आकार का होता है। 6 दिसम्बर 1992 को जब विवादित ढांचा ढहा दिया गया तो कारसेवक उसका मलबा उठाकर रामकथा कुंज ले गए थे।
यूपी पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने बताया, "यूपी पुरातत्व विभाग ने 1990 से 1992 के बीच यह तथ्य खोज निकाले थे कि मस्जिद विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष पर बनाई गई थी। हमने हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाकर अवशेषों की एक सूची बनाई थी।"