‘मसूद पर झटका लगा तो पाक बना रहा पुलवामा का बहाना’

नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के बाद पाकिस्तान ने पूरे मामले को नया रंग देने की कोशिश की है। उसने यह कहकर अपनी कूटनीतिक नाकामी का बचाव किया है कि प्रस्ताव में पुलवामा समेत दूसरे हमलों का जिक्र न होने के कारण मसूद के खिलाफ इस फैसले पर आम सहमति बन सकी। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया है कि यह पाकिस्तान का नया प्रॉपेगैंडा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पाकिस्तान को बेनकाब किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अब कोई विकल्प नहीं बचा तो वह अप्रासंगिक चीजें बता रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या कोई ऑफर दिया गया जिसके बाद चीन ने तकनीकी रोक हटाई? इस सवाल पर रवीश कुमार ने साफ कहा कि भारत ने आतंकवाद और देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर किसी भी देश के साथ कोई समझौता नहीं किया है।

भारत ने कहा, फैसला साक्ष्यों पर आधारित
दरअसल, पाकिस्तान ने अपनी बदनामी को कम करने के लिए कहा है कि वह अजहर पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पर तभी राजी हुआ जब पुलवामा हमले के साथ उसे (अजहर को) जोड़ने की कोशिश समेत सभी राजनीतिक संदर्भों को इस प्रस्ताव से हटा दिया गया। नोटिफिकेशन से पुलवामा हमले का जिक्र नहीं को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारा उद्देश्य मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करवाना था और यह प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी। साल 2016 और 2017 में भी कोशिश की गई। वास्तव में यह फैसला किसी एक घटना पर आधारित नहीं बल्कि साक्ष्यों पर आधारित है, जो भारत ने 1267 प्रतिबंध समिति के सदस्यों को उपलब्ध कराए हैं।

उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन में साफ लिखा है कि मसूद अजहर को जैश-ए-मोहम्मद की आतंकी गतिविधियों के लिए फंड जुटाने, मदद करने, तैयारी करने या हमले को अंजाम देने या हथियारों की आपूर्ति, बेचने या ट्रांसफर करने या फिर उसके लिए भर्ती करने या फिर किसी दूसरी तरह की मदद के लिए वैश्विक आतंकी घोषित किया गया। व्यापक स्तर पर इसमें सभी प्रकार की आतंकी गतिविधियां शामिल हैं।

अब पाकिस्तान करे भी तो क्या करे?
हालांकि पाकिस्तान एक अलग नैरेटिव सेट कर रहा है। रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के नजरिए से सोचें तो उसे बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। ऐसे में अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। पाकिस्तान इस फैसले का न तो स्वागत कर सकता है और न ही आलोचना कर सकता है। दोनों विकल्पों में देश में उनकी आलोचना होगी। ऐसे में वे कोई ऐसी चीज ही बताएंगे, जो वास्तव में प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें समझना चाहिए कि नोटिफिकेशन आतंकी का कोई बायोडेटा नहीं है, जिसमें उसके द्वारा की गई सभी आतंकी वारदातों का जिक्र होगा।

MEA प्रवक्ता ने कहा कि इस फैसले के कई पहलू हैं। फैसले पर भारत की प्रतिक्रिया को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के फैसले का स्वागत करते हैं। यह भारत की पोजिशन के अनुकूल था और जो जानकारी भारत ने मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद के बारे में प्रतिबंध समिति के सभी सदस्यों को दिया था, फैसला उसके अनुरूप है।

उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला सही दिशा में एक कदम है, जो आतंकवाद और इसके समर्थकों के खिलाफ लड़ने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को प्रदर्शित करता है। उन्होंने आगे कहा, 'भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से ऐसे प्रयासों को जारी रखेगा जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो आतंकी संगठन और उनके सरगना हमारे नागरिकों को नुकसान पहुंचाते हैं, उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जा सके।'

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