मसूद अजहर पर UN में भारत बदल सकता है अपना रुख

 नई दिल्ली 
भारत ने पुलवामा आतंकी हमले को जघन्य और घिनौना करार देते हुए इसके लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। भारत ने पाकिस्तान से आतंकियों का समर्थन बंद करने को भी कहा है। वुहान समिट के बाद जैश आतंकी मसूद अजहर पर एक साल तक शांत रहे भारत का रुख अब बदल सकता है। हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अजहर पर आतंकवाद निरोधक प्रतिबंध लगाने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग मांगा है।  

आपको बता दें कि गुरुवार को हुए पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 37 जवान शहीद हो गए हैं। आज सुरक्षा पर कैबिनट कमिटी (CCS) की बैठक होने वाली है। उधर, UN प्रतिबंधों के तहत अजहर पर बैन लगाने के भारत के प्रयासों को चीन लगातार विफल करता रहा है। दरअसल, चीन अपने सहयोगी पाकिस्तान के हितों की रक्षा करना चाहता है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है, 'सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सभी आवश्यक उपाय करने के लिए दृढ़ और प्रतिबद्ध है। हम आतंक के खतरे से लड़ने के लिए भी समान रूप से प्रतिबद्ध हैं।' 
 
हमले में शामिल स्थानीय कश्मीरी का विडियो सामने आने के बाद भी भारत पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने से पीछे नहीं हटा। भारत ने साफ कहा, 'हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वह आतंकियों को मदद करना बंद करे और आतंकी संगठनों के ठिकानों को नष्ट करे, जो दूसरे देशों में हमले करते हैं।' 
 
भारत सरकार ने दो टूक कहा है कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा यह हमला किया गया, जिसे संयुक्त राष्ट्र और दूसरे देशों के द्वारा आतंकी संगठन घोषित किया गया है। हमले में पाकिस्तान की भूमिका को स्पष्ट करते हुए सरकार ने कहा, 'इस आतंकी संगठन का सरगना अंतरराष्ट्रीय आतंकी मसूद अजहर है, जिसे पाकिस्तान की सरकार ने अपने कब्जे वाले इलाकों में पूरी आजादी दी हुई है। इस कारण वह लगातार अपने आतंकी कुनबे को बढ़ाता आ रहा है।' 
 
अजहर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की मांग करते हुए भारत ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से जैश-ए-मोहम्मद चीफ अजहर समेत आतंकियों की लिस्ट के प्रस्ताव को UNSC की 1267 सैंक्शंस कमिटी के तहत आतंकी घोषित करने के लिए समर्थन देने की फिर अपील करते हैं। हम पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों से संचालित आतंकी संगठनों को भी बैन करने की मांग करते हैं।' 

वुहान समिट के बाद भारत की बदली नीति 
हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि 2018 में भारत ने अजहर के केस को संयुक्त राष्ट्र में बिल्कुल भी नहीं उठाया। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान समिट के बाद चीन की चिंता वाले मामलों पर भारत काफी धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत पेइचिंग के साथ शांति को भंग न करने के लिए काफी दूरी बरत रहा है। 

जैश ने फिदायीन हमलावर को कहा 'गाजी' 
शायद यही वजह है कि मसूद अजहर जैसे विवादास्पद मुद्दों को भारत ने संयुक्त राष्ट्र में नहीं उठाया। वुहान समिट से पहले हमारी नीति यह थी कि आतंकी सरगना को मदद करने वाले को बेनकाब करने और चीन पर दबाव बनाने के लिए भारत या अमेरिका या यूके 1267 कमिटी में अजहर के मसले को उठाएंगे। 

पुलवामा: 10 किमी दूर तक धमाके की आवाज 
गुरुवार को पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर अजहर मामले को उठाए जाने की संभावना बढ़ी है। सरकार की तरफ से यह पहली प्रतिक्रिया हो सकती है। मसूद अजहर ही नहीं, उसके भाई अब्दुल रउफ असगर को भी आतंकी लीडर के तौर पर शामिल किया गया है। जैश-ए-मोहम्मद को 1267 कमिटी के द्वारा गैरकानूनी करार दिया गया है लेकिन अजहर अभी इसके दायरे से बाहर है। 
 

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