मप्र में अब लोकसभा चुनाव का बहिष्कार, ग्रामीण बोले-ना खुद वोट डालेंगें,ना किसी को डालने देंगें

दमोह
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जगह जगह राजनैतिक दलों का विरोध हुआ था और लोगों ने मांगे पूरी ना होने पर चुनाव का बहिष्कार करने तक की चेतावनी दे दी थी।जिसका परिणाम भाजपा को भुगतना पड़ा और 15 सालों बाद राज करने के बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन विरोध अब भी जारी है। ताजा मामला दमोह से सामने आया है जहां बांध ना बनाए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश है और उन्होंने ये मांग पूरी ना होने पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।

दरअसल,  तेंदूखेड़ा तहसील के करीब एक दर्जन गांव के लोगों ने राजनैतिक दलों को आगामी चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। इसके लिये उन्होंने एक साथ शपथ भी ली। ग्रामीण उनके गांव के पास बने सतधारा नाले पर बांध बनवाने की मांग कर रहे हैं, इसके लिये उन्होंने कई बार शिकायत और आवेदन दिये लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वही 2011 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बांध बनवाने का आश्वासन भी दिया, लेकिन उनका वादा अभी तक अधूरा है। ग्रामीणों की यह चेतावनी भी है कि जब तक गांव में बांध नही बन जाता तब तक  वे ना तो स्वयं वोट डालेंगे और ना ही अन्य गांव के लोगों को वोट डालने देंगे।

आगामी संसदीय चुनाव के साथ पंचायत एवं अन्य चुनाव का भी यह सभी ग्रामीण खुलकर विरोध बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंप कर शीघ्रता के साथ सतधारा नाले पर बांध बनाए जाने की मांग रखी है। वहीं तहसीलदार का कहना है कि ग्रामीणों द्वारा मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा सहित उनकी समस्याओं की जानकारी कलेक्टर को भेजी जाएगी, जिससे ग्रामीणों की समस्या का समाधान समय पर हो सके और यह लोग मतदान के बहिष्कार से बच सकें।

बता दे कि दमोह लोकसभा क्षेत्र पर 30  सालों से भाजपा का कब्जा है। प्रहलाद पटेल यहां से सासंद है।हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद यहां सीटों पर बड़ा नुकसान हुआ है, ऐसे में आगामी चुनाव में भी यूं ग्रामीणों का बहिष्कार भाजपा को बडा नुकसान दे सकता है। वही कांग्रेस और अन्य दलों पर भी इस बहिष्कार का असर होना स्वाभाविक है।

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