मधेपुरा इंजन कारखाने में तैयार 16 इलेक्ट्रिक इंजन सफल ट्रायल के बाद पटरियों पर दौड़ने लगी

 सहरसा 
मधेपुरा कारखाना में तैयार सबसे शक्तिशाली 16 विद्युत इंजन भारतीय रेल की पटरी पर दौड़ने लगी है। वर्ष 2029 तक 12 हजार हॉर्स क्षमता की आठ सौ इंजन को वर्ष 2029 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

इंजन निर्माण की लागत राशि 24 करोड़ रुपए है। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि विश्व में पहली बार बड़ी लाइन पर संचालन होने वाली यह उच्च क्षमता वाली इंजन  है। अब तक 16 उच्च अश्वशक्ति वाली विद्युत इंजन भारतीय रेल को अपनी सेवाएं दे रही है। भारी माल यातायात परिवहन के लिए चलने वाली मालगाड़ियों में इस इंजन को उपयोग में लाया जाता है। विद्युत इंजन निर्माण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत करीब 1200 करोड़ राशि की लागत से मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री लिमिटेड की स्थापना की गई।

यह कारखाना उच्च गुणवत्ता और सुरक्षा के उत्ततम मानकों के साथ तैयार की गई सबसे बड़ी एकीकृत नई (ग्रीनफील्ड) यूनिट है जो मेक इन इंडिया का सर्वोत्तम उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 10 अप्रैल 2018 को इस कारखाना में निर्मित देश के पहले 12 हजार  अश्वशक्ति के इलेक्ट्रिक इंजन का लोकार्पण किया गया था। यहां से अगले 11 वर्षों में करीब 24 हजार करोड़ की लागत से 800 इलेक्ट्रीक इंजन का उत्पादन किया जाएगा। मेक इन इंडिया के तहत भारत में नवीनतम तकनीक पर आधारित उच्च अश्वशक्ति विद्युत इंजन के निर्माण की दिशा में यह कारखाना मील का पत्थर साबित हो रहा है।

पूर्व मध्य रेल सहित भारतीय रेल के लिए तब गौरव का पल बना जब बीते 18 मई को पूरी दुनिया में पहली बार बड़ी रेल लाइन पर मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री लिमिटेड में निर्मित पहले शक्तिशाली विद्युत इंजन से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. से धनबाद मंडल के बड़वाडीह तक 118 डिब्बों वाली मालगाड़ी का सफलतापूर्वक परिचालन किया गया। इसके साथ ही अधिक हॉर्स पावर के इंजन बनाने वाले प्रतिष्ठित क्लब में शामिल होने वाला दुनिया का छठा देश भारत बन गया। यह इंजन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
 
जीपीएस के जरिए इंजन पर रखी जाती नजर
सीपीआरओ ने कहा कि सॉफ्टवेयर और एंटीना के माध्यम से इसके रणनीतिक उपयोग के लिए इंजन पर जीपीएस के जरिए करीबी नजर रखी जा सकती है।

120 तक की रफ्तार से इंजन के चलने की क्षमता
मधेपुरा में तैयार विद्युत इंजन से मालगाड़ियों का परिचालन मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की तरह 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति से किया जा सकेगा। जो दूसरे इंजनों की तुलना में लगभग दुगुनी है। सीपीआरओ ने कहा कि पूर्व मध्य रेल में आधारभूत संरचना के विकास में पिछले कुछ वर्षों में काफी गति आई है।

मढ़ौरा कारखाना के 183 इंजन पटरी पर चल रही
जेनरल इलेक्ट्रिक डीजल लोकोमोटिव प्राईवेट लिमिटेड फैक्ट्री मढ़ौरा में तैयार 183 इंजन पटरी पर दौड़ रही। सीपीआरओ राजेश कुमार ने कहा कि इसकी स्थापना सारण जिले के मढ़ौरा में की गई है। पीपीपी मॉडल के तहत 12 जफर करोड़ राशि की लागत से स्थापित इस कारखाना से फरवरी 2019 में पहला एक हजार उच्च अश्वशक्ति वाला डीजल इंजन तैयार होकर निकला। अब तक मढ़ौरा में निर्मित 183 इंजन भारतीय रेल को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां से उत्पादित डीजल इंजन से ग्रिड विफलता और अंतर्राष्ट्रीय रेल संपर्क बहाल करने की दिशा में भारतीय रेल के आपात व सामरिक जरूरतें पूरा करने में मदद मिलेगी। अगले 11 साल में करीब 20 हजार करोड़ की लागत से 1000 उच्च अश्वशक्ति का डीजल इंजन निर्माण पूरा होगा। 

 

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