मथुरा में टिड्डों के झुंड को दूर भगाने के लिए रखी दवा

मथुरा
पाकिस्तान से राजस्थान, मध्य प्रदेश होते हुए भारत पहुंचा टिड्डों का दल तांडव कर रहा है। फसलों को बर्बाद कर रहे टिड्डे उत्तर प्रदेश में भी घुसे थे। हालांकि हवा के बहाव के साथ पूरा दल एक बार फिर मध्य प्रदेश की तरफ मुड़ गया है। लेकिन मथुरा में इन टिड्डों के झुंड को दूर भगाने के लिए दवा तैयार रखी गई है।
मथुरा के डीएम ने जानकारी देते हुए बताया कि 200 लीटर क्लोरोपायरिफॉस रिजर्व करके रखा गया है। इलाके में इसे बेचने वालों को सलाह दी गई है कि केमिकल की सप्लाई जिले के बाहर ना करें। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इन टिड्डों के झुंड को ड्रम और बर्तनों के पीटने से मचे शोर से भगाया जा सकता है। इसके साथ ही केमिकल्स विशेष तौर पर क्लोरोपायरिफॉस 20EC को पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़कने से सफलता मिल सकती है।

बचाव के लिए हमेशा तैयार रहें किसान
टिड्डी दल इन दिनों अब हवा के साथ मध्य प्रदेश के मुरैना की ओर मुड़ गया है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश राज्य के कृषि विभाग ने जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारियों की अध्यक्षता में कमिटियां गठित करके टिड्डी दलों के हमलों से बचाव के लिए किसानों को हर समय तैयार रहने को कहा है। इसके लिए किसानों को हर स्तर पर जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

'अभी खतरा टला नहीं है, सतर्क रहें'
उप निदेशक (कृषि प्रसार) डॉक्टर धुरेंद्र कुमार ने बताया,‘टिड्डी दल राजस्थान के करौली, हिंडौन और उत्तर प्रदेश के झांसी, बरुआ सागर होते हुए मध्य प्रदेश के बबीना, मुरैना क्षेत्र में फैल गया है। अभी वहीं बना हुआ है। लेकिन हवा के साथ कभी भी उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा आदि जनपदों की ओर मुड़ सकता है। इसलिए किसानों व कृषि विभाग के अधिकारियों को इस मामले में पूरी तरह से सतर्क बने रहना होगा।’

जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों को बताया,‘टिड्डी कीट समूह में रहते हैं। टिड्डियां 1 दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं, हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है। टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड बनाकर पेड़-पौधे एवं वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी क्षेत्र में शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं।’

रात के वक्त केमिकल छिड़कने से होगा फायदा
उन्होंने बताया,‘टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं। इसलिए इन पर इसी समय दवा छिड़काव करना चाहिए। अन्यथा ये रात भर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब वहां से निकलते हैं। अंडा देने की अवधि में इनका दल एक स्थान पर 3 से 4 दिन तक रुक जाता है।’

आग और तेज आवाज से भागेंगे दूर
उन्होंने बताया कि बड़े आकार का टिड्डी दल राजस्थान राज्य से होते हुए मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र की तरफ से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुका है। अतः सभी कृषक बंधुओं से अनुरोध है इस समय सजग रहें एवं टिड्डी दल की लोकेशन ज्ञात करते रहें। टिड्डी दल के आने पर उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आस-पास मौजूद घास-फूस का उपयोग करके धुआं करें, आग जलाएं, खेतों मे पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें जिससे वे वहां न बैठकर आगे निकल जाएं।

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