मंत्री डॉ. साधौ की अध्यक्षता में हुई परामर्शदात्री समिति की बैठक

 भोपाल

चिकित्सा शिक्षा, आयुष और संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ की अध्यक्षता में आज विधानसभा समिति कक्ष में चिकित्सा शिक्षा और आयुष विभागों की परामर्शदात्री समिति की बैठक संपन्न हुई। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में एलोपैथी के साथ ही अन्य चिकित्सा पद्धतियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। भोपाल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया चिकित्सालय का 2 हजार बिस्तर के नये भवन और सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। शीघ्र ही प्रदेश में पर्यटन स्थलों पर पंचकर्म की सुविधा उपलब्ध भी कराई जायेगी। आयुर्वेद अस्पताल नए उपकरणों से लैस होंगे। प्रदेश मे 4 सुपर-स्पेशलिटी प्रारंभ करने के क्रम में जबलपुर में इसकी शुरूआत की जा चुकी है। रीवा, ग्वालियर और इंदौर में इसकी प्रक्रिया चल रही है। भवनों का निर्माण होते ही इन्हें प्रारंभ किया जायेगा। बैठक में समिति के सदस्य विधायक  अजय विश्नोई,  केदार चिडाभाई डाबर और  मनोज चावला उपस्थित थे।

बैठक में जानकारी दी गई कि एक समय था कि प्रदेश में 5 चिकित्सा महाविद्यालय ही थे। छठवां मेडिकल कॉलेज सागर में प्रारंभ किया गया। इस समय गत 3 वर्ष में प्रारंभ 7 महाविद्यालयों के बाद सिर्फ पिछले एक वर्ष में 6 महाविद्यालय प्रांरभ किए गए। आठ निजी क्षेत्र में संचालित महाविद्यालयों की सीट्स मिलाकर प्रदेश में करीब 3 हजार एमबीबीएस सीट्स हैं।

मंत्री डॉ. साधौ ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में नए संस्थान प्रारंभ करने के साथ ही यह प्रयास भी किया जा रहा है कि पुराने संस्थानों का भी उन्नयन किया जाए। कार्यों को गुणवत्ता और गति के साथ संपन्न किया जायेगा। डॉ. साधौ ने बताया कि इंदौर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एमवाय चिकित्सालय में प्रदेश का प्रथम बोनमेरो ट्रांसप्लांट सेन्टर स्थापित कर प्रशिक्षित विशेषज्ञ पदस्थ किये गये हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों से जुडे अस्पतालों में मरीजों के लिये आधुनिक चिकित्सा उपकरण पारदर्शी प्रक्रिया से क्रय किये जा रहे हैं। इसके लिये भारत शासन की पंजीकृत संस्था जेम (GEM) से क्रय करने के लिये सभी संस्थाओं को पंजीकृत किया गया है। डॉ. साधौ ने बताया कि सिवनी और छतरपुर में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए 300 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई है। जबलपुर में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

बैठक में जानकारी दी गई कि जिला स्तर पर स्थापित चिकित्सा महाविद्यालयों के लिये शैक्षणिक और प्रशिक्षण उद्देश्य से जिला चिकित्सालयों को चिकित्सा महाविद्यालयों से संबद्ध चिकित्सालय के रूप में मान्यता दी गई है। इससे जिला चिकित्सालयों में भी आधुनिकतम उपकरणों से परीक्षण और स्वास्थ्य सेवाएं आम-जन को मिल सकेंगी। प्रदेश के 22 जिला एलोपैथी चिकित्सालयों में आयुष विंग की स्थापना की मंजूरी दी गई है और 100 आयुर्वेद औषधालयों में आयुष्मान हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की भी मंजूरी दी गई है। आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सकों का ऑनलाइन पंजीयन प्रारंभ किया गया है। इसी तरह, आयुष औषधियों की लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी माध्यमों का प्रयोग प्रारंभ किया गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का प्रस्ताव भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद नई दिल्ली को भेजा गया है। आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा अधिकारियों के रिक्त पदों की पूर्ति की कार्यवाही लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जा रही है। प्रदेश के जनजाति बाहुल्य डिंडौरी, मंडला, छिंदवाड़ा और शहडोल जिलों में सिकिल सेल एनिमिया के अध्ययन का कार्य भारत सरकार के जनजाति कल्याण मंत्रालय के सहयोग से प्रारंभ किया गया है। आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन के नवीन परिसर का निर्माण करने के लिए करीब 20 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई। इसके अलावा प्रदेश के 22 जिला आयुष कार्यालयों और 89 औषधालय भवनों के निर्माण के लिये भी 56 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए।

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