भोपाल में दिग्विजय vs साध्वी प्रज्ञा? हर ऐंगल से सोच रही बीजेपी

भोपाल
बीजेपी भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के सामने हिंदुत्व का चेहरा मानी जाने वाली साध्वी प्रज्ञा को उतारने के बारे में विचार कर रही है। पार्टी इस फैसले के नफा-नुकसान के बारे में सोच रही है। यदि ऐसा होता है तो भोपाल सीट पर काफी ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। 2008 में मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को पिछले साल ही एनआईए कोर्ट सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।  

जेल से रिहा होने के बाद उन्हें हिंदुत्व के चेहरे तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि उन्हें दिग्विजय सिंह के सामने अच्छा उम्मीदवार माना जा रहा है। दिग्विजय सिंह पर 'हिंदू आतंकवाद' शब्द को जन्म देने और दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने का आरोप है, जिसमें इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी मारे गए थे। वहीं साध्वी के अनुभवी न होने के कारण भी कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। 

सूत्रों का कहना है कि इस बारे में अभी अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। पार्टी की चिंता यह है कि क्या वह 'हिंदुत्व' के मुद्दे को इस ढंग से उठा पाएंगी, कि चुनाव आयोग भी इस पर ऐतराज न करे। यदि साध्वी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो विपक्ष को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी हिंदू असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है। 

दिग्विजय सिंह ने 'हिंदू आतंकवाद' खिलाफ अभियान चलाया था। बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के आजमगढ़ स्थित घर पर भी वह गए थे और उनके परिवारों से मुलाकात की थी। इए एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के सीनियर पुलिस ऑफिसर मोहन चंद्र शर्मा की मौत हो गई थी। 

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'दुश्मन को परास्त करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।' उनका इशारा दिग्विजय सिंह की तरफ था, जिन्होंने साध्वी पर आतंकवादी होने का टैग लगाया था। साधवी ने कहा, 'मेरी कुछ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं, जिनके लिए दिग्विजय सिंह जिम्मेदार हैं। मैं कभी उन धब्बों को नहीं भूल सकती, जो उन्होंने मेरी जिंदगी पर लगाए हैं।' जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी की तरफ से आपके चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला लिया गया है, तो उन्होंने कहा कि वह दुश्मन को परास्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 

साध्वी प्रज्ञा के जीजा भगवान झा ने कहा, ' कई लोगों द्वारा दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़ने की बात पूछने के बाद दीदी (प्रज्ञा ठाकुर) अपना मन बना चुकी हैं।' पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी पर मीटिंग्स में चर्चा हुई और उनकी उम्मीदवारी से न सिर्फ पार्टी के हिंदुत्व अजेंडे को फायदा होगा, बल्कि कांग्रेस का अल्पसंख्यक तुष्टिकरण भी उजागर हो सकता है। 

भोपाल सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। बीजेपी यहां 1989 से ही जीतती आ रही है। इस सीट से अंतिम बार 1984 के चुनाव में के एन प्रधान जीते थे। 

16 साल बाद चुनाव लड़ने जा रहे हैं दिग्विजय 
1993 से 2003 तक लगातार 10 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह 2003 के बाद से अबतक किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में नहीं लड़े हैं। तब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद दिग्विजय ने ऐलान किया था कि वह अगले एक दशक तक न तो चुनाव लड़ेंगे और न ही राज्य की राजनीति में कोई दखल देंगे। सूबे की सियासत से उनका 10 साल का स्वनिर्वासन 2013 में खत्म हुआ और वह 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि, उसी साल यानी 2014 में कांग्रेस ने दिग्विजय को राज्यसभा में भेज दिया। 

कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर 
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आईं, जब 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। वह 9 सालों तक जेल में रहीं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें लगातार 23 दिनों तक यातना दी गई थी। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने 'हिंदू आतंकवाद' का जुमला गढ़ा और इस नैरेटिव को सेट करने के लिए उन्हें झूठे केस में फंसाया गया। साध्वी प्रज्ञा 2007 के आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी आरोपी थीं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। हिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट प्रज्ञा का शुरुआत से ही दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ रुझान था। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की सक्रिय सदस्य भी रह चुकी हैं। 

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