भोपाल के 9 अधिकारियों को जबरन दिया रिटायरमेंट ,भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की बड़ी कार्रवाई
भोपाल
भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त 22 अधिकारियों को मोदी सरकार ने जबरन रिटायरमेंट दिया है। इसमें से 9 अधिकारी भोपाल में तैनात थे। ये सभी अधिकारी इंडियन रेवन्यू सर्विस के अफसर हैं। इनकी तैनाती केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले भी 27 अधिकारियों पर गाज गिरी थी, जिसमें 15 आयकर विभाग के अधिकारी हैं। इन सभी फंडामेंटल रूल 56 के अंतर्गत जबरन रिटायरमेंट दिया गया है। हटाए गए अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई भी भ्रष्टाचार के मामले में जांच कर रही है।
हटाए गए अधिकारियों पर आरोप है कि ये बिजनेसमैन और व्यक्तिगत तौर पर लोगों को नोटिस इश्यू करते थे, उसके बाद उनसे पैसा वसूलते थे। सभी अधिकारी इस तरह के आरोपों का सामना कर रहे थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की है कि एक अक्टूबर से अब सभी नोटिस और समन सेंट्रलाइज्ड कंप्यूटर सिस्टम से इश्यू होंगे। साथ ही इन नोटिसेज के यूनिक पहचान भी होगी। ताकि भ्रष्टाचार के इस तरह के मामलों को रोका जाए।
वहीं, जिन अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई की गई है, या फिर जिन्हें जबरन रिटायर किया गया है, वो पूर्व में सीबीआई के द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार भी हुए हैं। इसके साथ ही कई अधिकारियों के ऊपर अभी भी जांच चल रही हैं।
भोपाल के हैं 9 अधिकारी
हटाए गए 22 अधिकारियों में 9 भोपाल के हैं। भोपाल के सभी अधिकारी ने एक सिगरेट कंपनी अनियंत्रित और गुप्त उत्पादन को मंजूरी दी थी। ये लोग पहले से ही जांच के दायरे में थे, अब इनके ऊपर कार्रवाई हुई है।
ये हैं नियम
दरअसल, फंडामेंटल रूल 56 (जे) का इस्तेमाल उन अधिकारियों के लिए किया जाता है, जिनकी उम्र 50 से 55 वर्ष की हो या फिर उन्होंने नौकरी तीस साल की सेवा पूरी कर ली हो। इसके तहत नॉन परफॉर्मर और भ्रष्टाचार के आरोपी लोगों पर कार्रवाई की जाती है।