भूपेश कैबिनेट ने प्रदेश में जमीन का सरकारी रेट 30% घटाया

रायपुर
 छत्तीसगढ़ में पहली बार रियल एस्टेट को मंदी से उबारने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार रात हुई कैबिनेट की बैठक में जमीन की सरकारी कीमत यानी कलेक्टर गाइडलाइन (बाजार दर) 30 फीसदी कम कर दी गई है। तमिलनाडु और मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है जहां कलेक्टर गाइडलाइन कम कर दी गई है। इसके साथ ही पंचायत राज संशोधन अधिनियम को स्वीकृति दी गई है। वहीं कोरबा में सीएसईबी के 50-50 मेगावॉट के 4 उत्पादन संयंत्र बंद करने का निर्णय लिया गया।

राज्य बनने के बाद हर साल 10 % बढ़े जमीन के दाम

    राज्य बनने के बाद 2008 से 2018 तक हर साल जमीन की सरकारी कीमत करीब 10 फीसदी बढ़ती गई। इसका असर ये हुआ कि जमीन की सरकारी कीमत बाजार भाव से डेढ़ से दोगुना हो गई। यानी बाजार में जिस जमीन की कीमत कम थी, उसे खरीदने के बाद दोगुना बढ़ी हुई कीमत में सरकारी रजिस्ट्री करानी पड़ रही थी। इससे जमीन और मकान की लागत बढ़ रही थी। इस वजह से शुल्क चोरी बढ़ी और रजिस्ट्री से सरकार को मिलने वाली आमदनी घटी थी।

    इस वजह से सरकार ने कलेक्टर गाइडलाइन ही कम कर दी है। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव और राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केबिनेट के बाद मीडिया को बताया कि गाइडलाइन रेट कम करने का फैसला 25 जुलाई से राज्यभर में लागू कर दिया जाएगा। पिछले साल विधानसभा और लोकसभा होने की वजह से 2019-20 के लिए कलेक्टर गाइडलाइन रेट जारी नहीं किया गया था। इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि सरकार गाइडलाइन रेट कम करने जा रही है।

    राज्य बनने के बाद यानी 19 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब कलेक्टर गाइडलाइन घटाई गई है। हालंकि इसके साथ ही सरकार ने पंजीयन शुल्क में 0.8 प्रतिशत से बढ़ाकर गाइडलाइन मूल्य का 4 फीसदी कर दिया है। इससे पंजीयन शुल्क 10.25 फीसदी हो जाएगा। पहले यह शुल्क 7.05 फीसदी लगता था। भूपेश सरकार का दावा है कि इससे आम लोगों का खर्चा नहीं बढ़ेगा बल्कि प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने वालों को फायदा होगा।

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