भारत ने हर स्तर पर की जवाबी तैयारी, मोदी-जिनपिंग केमिस्ट्री सुलझाएगी सीमा विवाद? 

 नई दिल्ली 
भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों में तनाव बढ़ाने वाली कई घटनाएं हुई हैं, लेकिन डोकलाम के बाद लद्दाख इलाके में चल रहे विवाद ने तनाव को चरम पर पहुंचाया है। जानकारों का मानना है कि समय कितना भी लगे, पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बीते कुछ वर्षों में बनी सहमति विवाद को निपटाने का प्रमुख आधार है। मोदी-जिनपिंग केमिस्ट्री से विवाद सुलझ सकता है।

वुहान और महाबलीपुरम की अनौपचारिक बैठकों में तय हुआ था कि दोनों देश विवाद को तय नीतियों के तहत निपटाएंगे। इसी के जरिए सीमा पर तनाव कम करने की कोशिश भी हो रही है। विदेश मंत्रालय ने परस्पर बातचीत में शांति व स्थिरता के लिए दोनों देशों में पूर्व में हुए समझौतों को आधार बनाया है।

भारत ने हर स्तर पर जवाबी तैयारी की: चीनी सेना भारतीय सेना के जवानों को फिंगर-4 से आगे जाने नहीं दे रहे हैं। भारत की मांग है कि चीनी सेना वापस चली जाए। भारत अपनी सीमा के भीतर निर्माण पर चीन की आपत्ति को भी खारिज कर रहा है। हालांकि, भारत ने पूरी तरह से जवाबी रणनीति पर काम करते हुए हर स्तर पर तैयारी की है।

सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई: सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई। सूत्रों ने बताया कि चुशूल सेक्टर में एलएसी के चीनी पक्ष की तरफ माल्डो में सीमा कर्मी बैठक स्थल पर सुबह करीब साढ़े आठ बजे वार्ता प्रस्तावित थी, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्र में खराब मौसम की वजह से बैठक तीन घंटे देर से शुरू हुई।
 
अविश्वास को कम करने का प्रयास जारी: सूत्रों ने कहा कि मोदी-जिनपिंग की केमेस्ट्री का ही असर है कि जब भी तनाव चरम पर होता है, उसे ठंडा करने को सैन्य स्तर के अलावा कूटनीतिक चैनल खोल दिए जाते हैं। कूटनीतिक स्तर पर भी बात जारी है, कोरोना संकट के बाद उपजी परिस्थितियों ने ऐसे हालात पैदा किए हैं, जिससे अविश्वास की खाई थोड़ी गहरी हुई है।

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