भारत-चीन मीटिंग: द्विपक्षीय सहमति को पूरी तरह से लागू किया जाए: अजित डोभाल

 
नई दिल्ली

भारत और चीन के बीच शनिवार को सीमा मुद्दे और आपसी संबंधों को लेकर कई मुद्दों पर सहमति बनी। इस मीटिंग के बाद भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने जोर देकर कहा कि जरूरी है कि दोनों देश इन समझौतों को पूरी तरह से लागू करें। डोभाल ने यह भी कहा दोनों देश बातचीत के आधार पर सीमा से जुड़ें सवालों के हल निकालने की कोशिश करें।
 इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अजित डोभाल के बीच हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा से जुड़े मुद्दों का उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए प्रयास को तेज करने का संकल्प लिया। मीटिंग के बाद डोभाल ने कहा, 'द्विपक्षीय रिश्तों के विकास और सीमा विवाद के निपटारे के लिए दोनों देशों के नेताओं ने एक नया विजन और रणनीतिक नजरिया पेश किया है।'
 
'चर्चा के माध्यम से निकालें सीमा से जुड़े सवालों का हल'
अजित डोभाल ने आगे कहा, 'जरूरत है कि दोनों देशों के बीच हुए समझौतों और आपसी सहमति को पूरी तरह से लागू किया जाए। साथ ही रणनीतिक संवाद को मजबूत करके चर्चा के माध्यम से सीमा के मुद्दे को सुलझाने की कोशिश को। इससे दोनों देशों के संबंधों के सुधार और विकास में मदद मिलेगी।'
 
दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत रचनात्मक रही। इस दौरान द्विपक्षीय विकास साझेदारी को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस बात पर आम सहमति बनी कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संवेदनशीलता और सरोकारों का सम्मान करना चाहिए। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों के सामरिक दृष्टिकोण से सीमा मुद्दे के महत्व को रेखांकित किया गया।

यांग वी बोले-तेजी से उभरते मार्केट हैं चीन और भारत
मीटिंग के बाद चीन के विदेश मंत्री यांग वी ने कहा, 'यह मीटिंग दोनों देशों के बीच सीमा के मुद्दे पर चर्चा का चैनल भर नहीं है बल्कि यह एक महत्वपूर्ण प्लैटफॉर्म है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद भी हो सके। दोनों ही देश तेजी से उभर रहे मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों ही देश विकास और बदलाव के ऐतिहासिक मोड़ पर हैं, ऐसे में दोनों ही देशों की रुचि भी लगभग एक जैसी है।'

अजित डोभाल की ही बात को आगे बढ़ाते हुए वांग यी ने कहा, 'जरूरत है कि दोनों देश सीमा संबंधी मुद्दे पर सक्रियता दिखाएं। राजनीति और सिद्धांतों के आधार पर ऐसा फैसला किया जाए, जो तर्कपूर्ण हो और दोनों पक्षों को स्वीकार भी हो।' यांग वी ने इस दौरे पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से भी मुलाकात की।

सीमा पर शांति बनाए रखने को लेकर बनी सहमति
अधिकारियों ने कहा कि वार्ता के दौरान सीमा से जुडे़ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई और दोनों पक्षों ने लगभग 35 हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच इसी साल अक्टूबर में मलप्पुरम में हुई दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद चीन और भारत के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता थी। डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए अपने-अपने देशों से नामित विशेष प्रतिनिधि हैं।

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