भारत के इलाकों पर दिखाया अपना कब्जा, चीन की शह पर नेपाल की हिमाकत!
नई दिल्ली
ऐसा लगता है जैसे नेपाल ने चीन के इशारों पर काम करना शुरू कर दिया है। पड़ोसी देश अपना नया मैप तैयार करने जा रहा है जिसमें कम से कम तीन इलाके ऐसे होंगे जो भारतीय सीमा में आते हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप को मंजूरी दी गई। इसके मुताबिक, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल में हैं। जबकि दरअसल ये इलाके भारत में आते हैं। मैप जारी होने के बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा, "लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। नेपाल के सभी इलाकों को दिखाते हुए एक आधिकारिक मानचित्र जारी होगा।"
नेपाल और भारत के रिश्तों में दरार?
पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है। इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा को तलब कर लिया था। जवाब में भारत ने अपनी पोजिशन साफ करते हुए कह था कि 'उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल ही बनी रोड पूरी तरह भारत के इलाके में हैं।' ग्यावली ने सोमवार को एक ट्वीट में जानकारी दी कि 'कैबिनेट ने 7 प्रान्त, 77 जिलों और 753 स्थानीय निकायों वाले नेपाल का नक्शा प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भी होंगे।'
भारत और नेपाल के बीच 'कालापानी बॉर्डर' का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेपाल इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है। नेपाल का कहना है कि आपसी रिश्तों में दरार पड़ने से रोकने के लिए कालापानी मुद्दे को सुलझाना अब बहुत जरूरी है। सवाल है कि जिस मसले को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई तनाव के हालात नहीं बने, उसे लेकर अब ऐसी बैचैनी क्यों है? खास तौर पर नेपाल की ओर की। क्या है कालापानी का ये पूरा मसला और नेपाल में क्यों ये बन गया है एक बड़ा मुद्दा, आपको बताते हैं इस विडियो में।
चीन है जो नेपाल को भड़का रहा
नेपाल के ऐसे व्यवहार के लिए भारत, चीन को जिम्मेदार मान रहा है। शुक्रवार को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संकेत दिए थे नेपाल के लिपुलेख मिद्दा उठाने के पीछे कोई विदेशी ताकत हो सकती है। जनरल नरवणे ने कहा था, "मुझे नहीं पता कि असल में वे किस लिए गुस्सा कर रहे हैं। पहले तो कभी प्रॉब्लम नहीं हुई, किसी और के इशारे पर ये मुद्दे उठा रहे हों, यह एक संभावना है।" चीन का नाम भले ना लिया गया हो मगर नेपाल में उसका दखल किसी से छिपा नहीं है।
क्या है विवाद?
वर्तमान विवाद की शुरुआत 1816 में हुई थी। तब ब्रिटिश के हाथों नेपाल के राजा कई इलाके हार गए थे जिनमें लिपुलेख और कालापानी शामिल हैं। इसका ब्यौरा सुगौली की संधि में मिलता है। दोनों देश आपसी बातचीत से सीमा विवाद का हल निकालने की पैरवी करते आए हैं मगर अब नेपाल के रुख में बदलाव साफ संकेत दे रहा है कि चीन ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। नेपाल ने अब चांगरु में कालापानी के नजदीक आर्म्ड पुलिस फोर्स का आउटपोस्ट बनाया है।