भाजपा नेताओं से नही छूट रहा बंगला, रेस्ट हाउस में गुजारा कर रहे कमलनाथ के मंत्री

भोपाल
15  सालों बाद सत्ता से बाहर हुई भाजपा नेताओं का बंगला से मोह छूटने का नाम ही नही ले रहा है। अल्टीमेटम के बावजूद भी नेता बंगला नही छोड़ रहे है, जिसके चलते कमलनाथ सरकार के मंत्री-विधायक कहीं विश्राम गृह से काम चला रहे हैं तो कहीं अपने पुराने और छोटे सरकारी आवास में अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं।हालांकि सकार बने हुए एक महिने से ज्यादा हो गया है लेकिन मंत्री विधायकों की बंगले की आस अब भी अधूरी है। खास बात ये है कि इन भाजपा नेताओं को सरकार द्वारा भी नोटिस भेजा जा चुका है बावजूद इसके बंगले खाली नही हुए है। ऐसे ेमें अब सियासत गर्मा गई है कांग्रेस नेताओं का गुस्सा फूटने लगा है।

दरअसल, शिवराज सरकार में जनसंपर्क मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा का बंगला नं डी-13 कमलनाथ सरकार में खेल मंत्री जीतू पटवारी को आवंटित हुआ था लेकिन नरोत्तम मिश्रा ने फिलहाल बंगला खाली नहीं किया है। 74 बंगले का बंगला नं बी-8 वित्त मंत्री तरुण भनोट को आवंटित हुआ था, इस बंगले में फिलहाल पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान रह रहे हैं। शिवराज सिंह प्रोफेसर कॉलोनी स्थित विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बंगले में शिफ्ट होने से पहले तक इस बंगले में ही रहेंगे।खाद्य मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर को 74 बंगले का बंगला नं बी-31 आवंटित हुआ था, इस बंगले में अभी तक प्रभात झा रह रहे थे। प्रभात झा का इरादा फिलहाल बंगला खाली करने का नहीं है, लिहाजा मंत्री  रेस्ट हाउस में रहने को मजबूर हैं। वही कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को 4 इमली स्थित पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह का बंगला पसंद आया था, लेकिन भूपेंद्र सिंह का भी फिलहाल बंगला खाली करने का इरादा नहीं है, ऐसे में सिंधिया अभी तक बंगले के लिए भटक ही रहे हैं। इसी तरह पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान का बंगला मंत्री उमंग सिंघार को आवंटित हुआ था लेकिन ये बंगला भी खाली नहीं हुआ।

लिंक रोड पर बी-10 बंगला अब कैलाश विजयवर्गीय के पास नहीं रहेगा, क्योंकि वे अब विधायक नहीं हैं। यह बंगला महिला एंव बाल विकास मंत्री इमरती देवी को आवंटित किया गया है। चुनाव नहीं लड़ने वाले गौरीशंकर शेजवार, कुसुम सिंह मेहदेले, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और नंदकुमार सिंह चौहान को भी बंगले छोड़ने पड़ेंगे। वहीं विधायक मीना सिंह वाला बंगला मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर को आवंटित किया है।

सिंधिया ने भाजपा सरकार से 23 मई 2018 को बंगला मांगा था। आवेदन में सांसद होने का हवाला देकर आवास मांगा था। अब सिंधिया को पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह वाला बंगला (बी-17) पसंद आया है। चर्चा है कि वे इसी बंगले में जाना चाहते हैं, लेकिन अभी उन्हें बंगला आवंटित नहीं हुआ है। फिलहाल बंगला सिंह के पास ही है।  खबर है कि भूपेन्द्र सिंह ने गृह विभाग को अप्रेल के पहले बंगला खाली न करने की सूचना दे दी है।गृह विभाग से सिंधिया को जवाब देते हुए सलाह दी गई थी कि, भोपाल में भूपेन्द्र सिंह के बंगले के बाद सबसे शानदार बंगला शिवराज सिंह चौहान का है। चौहान अगले एक महीने प्रोफेसर कालोनी स्थित दूसरे बंगले में शिफ्ट होने जा रहे हैं। अगर सिंधिया चाहें तो यह बंगला उन्हें अलाट किया जा सकता है। इसी के चलते पिछले दिनों भोपाल प्रवास के दौरान सिंधिया ने शिवराज को फोन करके उनका बंगला देखने की इच्छा रखी थी, जहां शिवराज ने उन्हें घर बुलाने की सहमति दी। हालांकि, अब तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि, सिंधिया ने बंगला देखने के बाद इसे अलाट कराने की सहमति दी है या नहीं।

गौरतलब बीते दिनों कमलनाथ मंत्रिमंडल का विस्तार होने के बाद विधानसभा सचिवालय द्वारा हारे हुए 119 विधायकों को बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। इसके लिए उन्हें तीन दिन का अल्टीमेटम भी मिला था, लेकिन बावजूद इसके बंगले खाली नही किए गए है, जिसके कारण अब तक कई मंत्रियों-विधायकों को बंगले नही मिल पाए है। बंगलों पर अब भी कई बीजेपी नेताओं ने कब्जा जमा रखा है। हालात ये हैं कि कमलनाथ सरकार के मंत्री कहीं विधायक विश्राम गृह से काम चला रहे हैं तो कहीं अपने पुराने और छोटे सरकारी आवास में अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं।हालांकि बीते दिनों गृह विभाग के अफसरों ने इन बंगलों पर नोटिस भी भेजा था बावजूद इसके बंगले खाली नही हुए है। खबर है कि अब सरकार ऐसे नोटिस की तैयारी कर रही है, जिसके बाद भी अगर बंगला नहीं खाली किया गया तो भाजपा नेताओं से 10 गुना ज्यादा किराया वसूला जाएगा। सरकार के बंगला आवंटन और आवंटन रद्द करने के अपने नियम हैं, उस नियम के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

बताते चले कि इसके पहले टिकट कटने पर 43 विधायकों को नोटिस दिया गया था। इनमें मेहरबान सिंह रावत,सत्यपाल सिंह सिकरवार, मुकेश चतुर्वेदी, प्रदीप अग्रवाल, घनश्याम पिनोरिया, शकुंतला खटीक, पन्नालाल शाक्य, पारुल साहू, केके श्रीवास्तव, अनिता नायक , आरडी प्रजापति, उमादेवी खटीक, मेहन्द्र सिंह, रमाकान्त तिवारी, राजेन्द्र मेश्राम, प्रमिला सिंह, मनोज कुमार अग्रवाल, मोती कश्यप, पंडित सिंह धुर्वे, कमल मर्सकोले, गोविंद सिंह पटेल, नाथनशाह कवरेती, जतन उइके, चंद्रशेखर देशमुख, चेतराम मानेकर, गोवर्धन उपध्य्याय, मंगल सिंह धुर्वे, कल्याण सिंह ठाकुर, गोपाल परमार, जसवंत सिंह हाड़ा, चंपालाल देवड़ा, लोकेंद्र सिंह तोमर, वेलसिंह भूरिया ,कालू सिंह ठाकुर के नाम शामिल है।हालांकि इसमें से आधों ने बंगले खाली कर दिए है और कुछ अब भी ऐसे है जो बंगला खाली करने में आनाकानी कर रहे है।

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