भागलपुर में गांगेय डॉल्फिन क्षेत्र में ठंडे देशों से पहुंचे प्रवासी पक्षियों ने बनाया बसेरा

भागलपुर 
भागलपुर में सबौर से लेकर सुल्तानगंज तक गंगा किनारे प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमा लिया है। ठंडे देशों से पहुंचे एक हजार से 1200 के करीब प्रवासी पक्षियों ने यहां पर अपना बसेरा बनाया है। जानकारों के मुताबिक, अगले साल मार्च तक ये पक्षी यहां रहेंगे। इन पक्षियों के ऊपर पीजी जूलॉजी विभाग के शिक्षक और शोधार्थी शोध में जुट गए हैं।
 
प्राध्यापक की मानें तो पिछले पांच साल की तुलना में इस बार पक्षियों की संख्या भागलपुर जिले में काफी अधिक है। गंगा किनारे से लेकर जगतपुर के क्षेत्रों में यह पक्षी देखे गए हैं। छात्रों का दल पक्षियों की गिनती करेगा। 

प्रवासी पक्षियों पर काम कर रहे जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डीएन चौधरी ने बताया कि इस बार अलास्का से चकवा (ब्रहमणी डक), आस्फ्रे (मछली मार), यूरेशियम करल्यू, साइबेरिया से कस्या चाहा, पट्टीधारी सबन, रूस से घूमर, चम्मच बजा, तिब्बत से कॉमन सेंट पाइपर पक्षी आ चुका है। एक साइबेरियन पक्षी पन कौआ भी देखा गया है, जो पानी के अंदर प्रवेश कर मछली पकड़ने में माहिर होता है।
 
छह से आठ हजार किमी करती है तय
प्रवासी पक्षी छह से आठ हजार किलोमीटर उड़कर यहां पर पहुंचा है। यह झुंड में आते हैं। यहां पर सिर्फ रहने और भोजन के लिए आते हैं। प्रजनन अपने इलाके में जाकर करते हैं।
 
गंगा में पहुंचने लगा बड़ा गरुड़
टीएनबी पीजी विभाग के छात्रों के दल ने दो दिनों तक लगातार गंगा किनारे पक्षियों का निरीक्षण किया। इस दौरान टीम ने गंगा में बड़ा गरुड़ भी देखा। जानकारों ने बताया कि कदवा दियारा से गरुड़ गंगा तक पहुंच रहा है। यह अच्छा संकेत है। 

इको अवेयरनेस क्लब करेगा जागरूक 
जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डीएन चौधरी ने बताया कि इको अवेयरनेस क्लब के द्वारा छात्रों के दल को गंगा किनारे के गांवों में भेजकर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा, ताकि प्रवासी पक्षियों के शिकार को रोका जा सके।

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