ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी ये बातें जानना है जरूरी, शिशु रहेगा तंदरुस्त

स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए लाभकारी है। शिशु के जन्म के बाद मां के स्तनों से एक गाढ़े पीले रंग का पदार्थ निकलता है जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं। यह बच्चे को जरूरी पोषक देने के साथ रोगों से लड़ने की क्षमत भी बढ़ाता है। यह बच्चे के विकास में सहायक होता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी होती है।

अगर आप या आपके बच्चे को स्तनपान प्रक्रिया शुरू करने में दिक्कत आ रही है तो अभ्यास करें और धैर्य रखकर इसे सीखें। नर्स से स्तनपान कराने का सही तरीका और अपने बच्चे को लेचिंग (चूसने) कराने की सही विधि जान सकते हैं। जब बच्चा दूध पीता है तो आपका स्तन आराम का एहसास करता है। अगर आपको दर्द हो रहा है तो समझ जाइए कि आप इसे ठीक तरह से नहीं कर पा रही हैं।

होम्योपथी की डॉक्टप मीनाक्षी सिंह के अनुसार, स्तनपान संबंधी कुछ मिथ भी हैं, जिन्हें लोग सच मान लेते हैं। ये मिथ हैं:

मिथ: स्तनपान करवाते समय दर्द होना सामान्य है।
सच्चाई: स्तनपान सही तरीके से करवाया जाए तो कभी दर्द नहीं होता।

मिथ: बच्चे के जन्म के 3 या 4 दिन के दौरान ज्यादा दूध नहीं होता है।
सच्चाई: इन दिनों दूध कम जरूर होता है लेकिन बच्चे के हिसाब से काफी होता है। अगर बच्चा ठीक ढंग से फीड ले रहा हो तो उसके लिए उतना दूध काफी होता है। शिशु के पेट की क्षमता पहले 48 घंटों में 5 से 15 मी/फीड होती है।

मिथ: बच्चों को दोनों स्तनों से बराबर फीड करवाएं।
सच्चाई: ऐसा जरूरी नहीं होता है। यह तो बच्चे की फीड करने की मांग पर निर्भर करता है।

मिथ: बोतल से फीड करवाने के बाद, स्तन से फीड करवाना आसान होगा।
सच्चाई: इसके विपरीत अगर पहले ब्रेस्टफीड कराने के बाद बाहर का फीड कराएं तो ज्यादा आसान होगा।

मिथ: सिजेरियन के बाद पहले 2 दिन तक मां बच्चे को फीड नहीं करवा सकती है।
सच्चाई: ऐसी बहुत सी स्थिति होती हैं जिनमें मां अपने पोस्ट सिजेरियन बच्चे को फीड करवा सकती है। वो भी बिना उठे या इधर-उधर खिसके। सर्जरी के तुरंत बाद भी।

मिथ: लेटकर भी करवा सकते हैं बच्चे को फीड।
सच्चाई: लेटकर बच्चे को फीड करवाना बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं है।

मिथ: ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट ढल जाते हैं।
सच्चाई: प्रेग्नेंसी, वंशागत और उम्र के कारण ब्रेस्ट ढलते हैं, न कि ब्रेस्टफीडिंग के कारण।

मिथ: अगर मां बीमार है तो वे बच्चे को फीड न कपाएं क्योंकि उससे बच्चा प्रभावित होता है।
सच्चाई: अगर मां बीमार है तो बच्चे को उससे पहले ही पता चल जाता है कि वे बीमार हैं। मां का दूध बच्चे के लिए ऐंटीबॉडी होता है जो उसे बीमारी से बचाता है। बच्चा बीमार हो जाता है तो इस दूध से उसकी बीमारी कम हो जाती है। मां को बुखार या जुकाम हो जाए तो भी वह बच्चे को फीड करवा सकती है। मां तब बच्चे को फीड नहीं करवा सकती जब उसे एचआईवी, टीबी या एचटीएल वी1 हो।

ये होते हैं फायदे

    गर्भावस्था में बढ़े वजन को कम करता है।
    ऑस्टियोपोरोसिस रोग के विकसित होने की आशंका कम हो जाती है।
    स्तन, गर्भाश्य, अंडाशयी कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है।
    प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

हर 2-3 घंटे में करवाएं स्तनपान
माएं याद रखें कि वे अपने शिशु को हर दो से तीन घंटे में स्तनपान करवाएं। हर स्तन से 10 से 15 मिनट दूध पिलाएं। जितना स्तनपान करवाएंगी उतना ज्यादा स्तनों से दूध बनेगा।

आरामदायक स्थिति में बैठें
स्तनपान कराने के लिए आपका आरामदायक स्थिति में होना जरूरी है। हाथों और पीठ को सहारा देकर बैठने से आप जल्दी नहीं थकेंगे। स्तनपान के दौरान बच्चे के सिर को सहारा दें।

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