ब्रिटेन से कश्मीरी आतंकियों के लिए 15 लाख लाया था मसूद

नई दिल्ली 
पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। बताया जा रहा है कि उसने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के लिए फंड जुटाने के उद्देश्य से इंग्लैंड की एक महीने की यात्रा की थी और उसने वहां 15 लाख पाकिस्तानी रुपये जुटाए थे। 1994 में भारत आने से पहले उसने शारजाह और सऊदी अरब का भी दौरा किया था, हालांकि उसे वहां कोई खास तवज्जो नहीं दी गई थी। 

बता दें कि भारत की ओर से मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसी सप्ताह फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश प्रस्ताव पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर रोक लगा दी है, लेकिन अब भी इसको लेकर विचार चल रहा है। 

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भारत की संसद पर हमले और पुलवामा अटैक सहित भारत में कई आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार मसूद ने 1986 में अपने असली नाम और पते के साथ पाकिस्तानी पासपोर्ट बनवाया था। उसने अफ्रीकी और खाड़ी देशों का विस्तृत दौरा किया था, जहां उसे यह अहसास हुआ कि अरब के देश 'कश्मीर के उसके उद्देश्य' को लेकर गंभीर नहीं हैं। 

भारत में सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद अजहर की पूछताछ से संबंधित रिपोर्ट के मुताबिक, उसने अक्टूबर 1992 में इंग्लैंड का दौरा किया था। लंदन के साउथ हॉल स्थित मस्जिद के मौलवी मुफ्ती इस्माइल ने उसके यात्रा का प्रबंध किया था। गुजरात के रहने वाले इस्माइल ने कराची स्थित दारुल-इफ्ता, वल-इरशाद से पढ़ाई की थी। 

पूछताछ के दौरान मसूद ने बताया था, 'मैं इस्माइल के साथ ब्रिटेन में एक महीने तक रहा और बर्मिंघम, नॉटिंघम, बरले, शेफिल्ड, डड्सबरी और लीसेस्टर के कई मस्जिदों में गया। जहां मैंने कश्मीरी आतंकियों के लिए वित्तीय सहायता मांगी। मैं 15 लाख पाकिस्तानी रुपये जमा कर पाया।' मसूद ने इस दौरान मसूद ने ब्रिटेन में मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की, जिसमें भारतीय मूल के मुस्लिम भी शामिल थे जो मंगोलिया और अल्बानिया में मस्जिद बनाने के काम में लगे हुए थे। 90 के दशक के शुरुआती सालों में अजहर ने सऊदी अरब, अबु धाबी, शारजाह, कीनिया, जाम्बिया का दौरा किया था और कश्मीर में मौजूद आतंकियों के लिए फंड जुटाया था। 

उसने सऊदी अरब का भी दौरा किया था और फंड जुटाने वाली दो एजेंसियों से संपर्क भी किया, लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। इनमें से एक जमात-उल-इशलाह था जो कि जमात-ए-इस्लामी का सहयोगी था। मसूद ने पूछताछ के दौरान कहा था, 'अरब देश कश्मीर के मसले पर कोई सहायता नहीं देना चाहते थे।' अबु धाबी में उसने 3 लाख, शारजाह में 2 लाख और दूसरी बार सऊदी दौरे पर 2 लाख पाकिस्तानी रुपये जुटाए थे। 

मसूद 1994 में फर्जी पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ भारत में घुसा और चाणक्यपुरी के अशोका होटल में रुका, जो कि डिप्लोमेटिक एन्क्लेव में मौजूद है। उसने आव्रजन अधिकारियों को यह कह कर चकमा दे दिया कि वह जन्म से गुजराती है। अगले दो सप्ताह के भीतर ही वह जम्मू-कश्मीर में पकड़ा गया। इसके पहले वह लखनऊ, सहारनपुर और दारुल-उलूम देवबंद का दौरा कर चुका था। 

गुजराती बता चकमा देने की कोशिश की थी 
पूछताछ में मसूद ने बताया, 'मैंने दो दिन बांग्लादेश में बिताए और फिर बांग्लादेश एयरलाइन्स से 29 जनवरी 1994 को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर उतरा। आव्रजन अधिकारी ने कहा कि मैं पुर्तगाली नहीं लगता हूं, जब मैंने कहा कि मैं जन्म से गुजराती हूं, तो उन्होंने मेरे पासपोर्ट पर स्टैम्प कर दिया। फिर मैंने एक टैक्सी ली और अच्छे होटल के बारे में पूछा। मुझे चाणक्यपुरी के अशोका होटल ले जाया गया, जहां मैं रुका।' 10 फरवरी को वह एक अफगानी नागरिक के साथ कश्मीर के मातीगुंड पहुंचा जहां पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के सबी आतंकी जमा हुए थे। मसूद ने बताया, 'वे मुझे वहां देखकर तथा हरकत-उल-मुजाहिदीन और हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी के विलय को लेकर खुश थे।' 

अफगान नागरिक संग दबोचा गया था मसूद 
लौटते वक्त मसूद के साथ अफगानी नागरिक और एक आतंकी मौजूद था था जो कि हथियार और वायरलेस सेट से लैस थे। उनकी कार गड़बड़ी के कारण बीच रास्ते रुक गई। इसके बाद तीनों ने अनंतनाग के लिए ऑटो ली। 2-3 किलोमीटर चलने के बाद ही एक जगह सैनिकों ने उन्हें रोका। मसूद ने पूछताछ में बताया, 'फारूक भागने लगा और गोली चलाने लगा जिसके बाद सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई की। फारूक भाग गया लेकिन मैं और अफगानी नागरिक गिरफ्तार कर लिए गए।' बता दें कि 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के एक विमान को अगवा कर कांधार ले जाया गया था और विमान के यात्रियों की जान बचाने के लिए मसूद और दो अन्य आतंकियों को मजबूरन रिहा करना पड़ा था। 

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