बैंकों ने मेहुल चोकसी की कंपनी को बेचने का फैसला किया

मुंबई
भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी की बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड जूलरी रिटेल कंपनी गीतांजलि जेम्स लिक्विडेशन की तरफ बढ़ रही है क्योंकि उसे कर्ज देने वाले ज्यादातर बैंकों ने समाधान प्रक्रिया पूरा करने की 180 दिनों की समयसीमा को बढ़ाने से मना कर दिया है। गीतांजलि जेम्स को कर्ज देने वाले बैंकों की समिति ने 28 मार्च को हुई मीटिंग में 54.14 प्रतिशत वोटिंग के साथ समाधान प्रक्रिया की अवधि बढ़ाने से मना कर दिया।

कंपनी के रिजॉल्यूशन प्रफेशनल विजय कुमार गर्ग ने स्टॉक एक्सचेंजों को मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, 'सीओसी ने लोन रिजॉल्यूशन के लिए समयसीमा बढ़ाने से मना कर दिया है, इसलिए अब कंपनी को लेक्विडेट (बेचा) किया जाएगा।' गीतांजलि जेम्स के लिए 180 दिनों की कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस की समयसीमा 6 अप्रैल को खत्म हो गई थी।

अक्टूबर 2018 में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई ब्रांच ने कंपनी के खिलाफ आईसीआईसीआई बैंक की याचिका स्वीकार की थी। 890 करोड़ के कर्ज पर गीतांजलि के डिफॉल्ट करने के बाद बैंक ने ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की थी। चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी के कथित तौर पर पीएनबी के साथ 2 अरब डॉलर से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में सरकारी एजेंसियों की जांच शुरू होने के बाद इस मामले में यह पहली इनसॉल्वेंसी पिटीशन थी। गीतांजलि पर बैंकों का 12,558 करोड़ रुपये बकाया है। अभी सीओसी में आईसीआईसीआई बैंक के पास 7.9 पर्सेंट वोटिंग शेयर, जबकि कंपनी को 5,518 करोड़ का कर्ज देने वाले पीएनबी के पास 43.94 पर्सेंट वोटिंग शेयर है।

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