बेटी को किडनी देने से मां-बाप ने किया इनकार, कहा- लड़की है वह

शेखपुरा
बिहार के शेखपुरा जिले में मैट्रिक की छात्रा कंचन कुमारी जिंदगी और मौत से जूझ रही है. कंचन की दोनों किडनी फेल हो गई हैं. डॉक्टर ने जब इसके बारे में लड़की की मां और पिता को बताया तो दोनों ने किडनी देने से इनकार कर दिया. ऐसे में एक शख्स ने कंचन की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. जब खुद के मां-बाप ने बच्ची को मरने के लिए छोड़ दिया ऐसे में एक शख्स ने कंचन को किडनी दान करने का फैसला किया. अब कंचन की जीने की आस बढ़ गई है.

शेखपुरा की छात्रा कंचन की दोनों किडनी फेल हो गई हैं. डॉक्टर ने कंचन को कुछ ही दिन का मेहमान बताया है. कंचन को सदर अस्पताल से डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया है. कंचन कोरमा थाना क्षेत्र के चाढ़े गांव की है. इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई करना चाहती है. जब कंचन को पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हैं और ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहेगी तो कंचन ने पिता से जिंदा रहने की गुहार लगाई और आगे पढ़ाई करना चाहती है. लेकिन पिता किडनी नहीं देना चाहते हैं. पीड़िता के पिता रामेश्वर प्रसाद का कहना है, 'लड़की है, इसे अपनी किडनी कौन देगा. इसमें बहुत खर्च होगा, हम गरीब हैं, गरीबी के कारण उसका इलाज कराने में भी हम असमर्थ हैं.'

कहा जाता है कि जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है. यही स्थिति कंचन के मामले में बनी. जब मां और पिता ने किडनी देने से हाथ खड़ा कर दिया तो एक फरिश्ता मिला, जिसका नाम है गौतम प्रसाद. नगर के गिरहिन्डा मोहल्ले में रहने वाले गौतम प्रसाद को जब पता चला कि कंचन आगे पढ़ना चाहती है तो वो अपनी किडनी कंचन को दान देने के लिए सदर अस्पताल पहुंच गया.

किडनी दानकर्ता गौतम प्रसाद ने बताया कि उसके बेटे की मौत कैंसर से हो गई थी. जब उसने अखबार में पढ़ा कि एक बच्ची की दोनों किडनी फेल हो गई हैं तो बच्ची के लिए किडनी दान करने का फैसला किया.

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक क्टर शरदचन्द्र ने गौतम के प्रयास की सराहना की और कहा कि स्वास्थ्य विभाग कंचन कुमारी को पूरा सहयोग करेगा. वहीं जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम निर्मल कुमार ने कहा कि गौतम की कोशिश से एक बच्ची को नई जिंदगी मिलने वाली है. इससे समाज मे एक बेहतर संदेश जाएगा.

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