बीस क्रेडिट लेने पर RGPV देगा बीई आनर्स और स्पेलाईजेशन की डिग्री

भोपाल
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सोमवार को एकेडमिक काउंसलि की बैठकआयोजत की गई। बैठक में आधा दर्जन मुद्दों पर चर्चा कर निर्णय लिए गए हैं।  इसमें सबसे खास कालेजों की संबद्धता देने पर सख्ती रखी गई है। इसके तहत कालेजों को संबद्धता लेने के लिए चार बिंदुओं पर अपनी स्वीकृति देना होगी। उनके अभाव में उनकी संबद्धता जारी नहीं की जाएगी। इसमें पहले सीवेज से निकलने वाले पानी को दोबारा से उपयोगी बनाना, रैन वाटर हार्वेस्टिंग करना, विद्यार्थियों की संख्या के बराबर पौधे लगाना और कचरे को सड़कों पर नहीं फेंक पाएंगे।  

आरजीपीवी पालीटेक्निक कालेजों में बीए सिस्टम लागू करेगा। इससे विद्यार्थियों का फेल होने पर एक साल बर्बाद नहीं हो पाएगा। उन्हें अपने एग्जाम के लिए सिर्फ एक सेमेस्टर का इंतजार करना होगा। आरजीपीवी इंजीनियरिंग में बीटेक सामान्य, बीटेक आनर्स और बीटेक इस्पेलाईजेशन डिग्री देने पर निर्णय लिया गया है। इसमें विद्यार्थियों बीटेक में 170 के स्थान पर बीस अधिक क्रेडिट लेने पर 190 से आनर्स और स्पेलाईजेशन की डिग्री ले पाएंगे। वहीं बैठक में एमबीए के आडिनेंस को पास कर दिया गया है। आरजीपीवी में इस साल से ही एमबीए शुरू किया गया है। 180 सीटों में दस फीसदी सीटों पर प्रवेश हुए हैं।

संबद्धता लेने जरुरी होंगे कालेजों करना होंगे ये चार इंतजाम
1 दफन होगा कचरा
कालेज अपना कचरा सड़क, मैदान और खेतों में नहीं फैक पाएंगे। वे कैंटीन या विभागों से निकलने वाले कचरे को कालेज में गड्डा बनाकर दफन करेंगे या नगर निगम या पालिका के स्थानों पर डालेंगे।

2 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
कालेजों मे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाएंगे। इससे कालेजों के सीवेज से निकलने वाला गंदा पानी दोबारा कालेज के उपयोग में आ जाएगा। यहां तक आरजीपीवी ने अपने दो हास्टल के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की कार्य भी शुरू करा दिया है। नये आने वाले दो नये हास्टल में भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की रुपरेखा भी तैयार की जा रही है।

3 कालेजों छतों के पानी से जिंदा होंगे बोर
कालेजों को बरसात के पानी का उपयोग करने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग करना होगी, ताकि वे बरसात के पानी के उपयोग से बोर को दोबारा जिंदा कर सकें। यहां तक वे जमीन के पानी के स्तर को ऊपर करने में सहयोग कर सकते हैं।

4 पर्यावरण पर भी होगा फोकस
कालेजों को अपने प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या के बराबर पेड़ लगाने होंगे। प्रवेश के बाद आरजीपीवी पंजीकृत विद्यार्थियों के बाद पेड़ों की गिनती तक कराएगा।

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