बीयू में बिना स्वीकृति के कई कर्मचारी कर रहे नौकरी, मंत्री पटवारी ने प्रकरण की रिपोर्ट तलब की 

भोपाल 
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में दो दर्जन कर्मचारी शासन की मंजूरी के बिना नौकरी कर रहे हैं। ये खुलासा बीयू से बर्खाश्त हुए असिस्टेंट डायरेक्टर अरविंद्र कुमार ने उच्च शिक्षामंत्री जीतू पटवारी को पत्र लिखकर किया है। मंत्री पटवारी ने बीयू से प्रकरण की रिपोर्ट तलब की है। 

बीयू के असिस्टेंट डायरेक्टर अरविंद्र को गत वर्ष बर्खास्त कर दिया गया, जिसके बाद वे नौकरी वापस लेने सभी प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं। जबकि प्रकरण में हाईकोर्ट में विचारणीय हैं। उन्होंने उच्च शिक्षामंत्री पटवारी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने खुलासा किया है कि बीयू में करीब दो दर्जन कर्मचारी शासन से बिना स्वीकृति वाले पदों में रहते हुए नौकरी कर रहे हैं। इसलिए उन्हें भी नौकरी वापस लिया जाए। जबकि उनके साथ एक डायरेक्टर, दो डिप्टी डायरेक्टर और दो असिस्टेंट डायरेक्टर के पद भी तत्कालीन कुलपति मुरलीधर तिवारी ने शासन की स्वीकृति के बिना पद विज्ञापित कर आवेदन बुलाए थे। कुलपति तिवारी ने अपने चहेते अरविंद्र को असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर चयनित कर लिया था। प्रकरण उजागर होने के बाद तत्कालीन प्रमुख सचिव केके सिंह ने उनके साथ 11 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती निरस्त कर दी थीं। 

भर्ती में हुए फर्जीवाड़े को उजागर करते हुए पीएस सिंह ने तत्कालीन रजिस्ट्रार एलएस सोलंकी को निलंबित कर दिया था। लंबे समय बाद उनका निलंबन समाप्त किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें महाराज छत्रसाल बुंदेलखंड विवि छतरपुर से महर्षि पार्णित संस्कृत विवि में पदस्थ किया है। वहीं कुलपति तिवारी को धारा 52 लगाकर विवि से रवाना कर दिया गया था। 

बर्खास्त असिस्टेंट डायरेक्टर अरविंद्र ने बीयू को विज्ञापन से लेकर शासन से स्वीकृति के लिए मांगा गया कुलपति तिवारी के पत्र के साथ अन्य दस्तावेज मंत्री पटवारी को दिए हैं। मंत्री पटवारी ने उन्हें छोड़ ऐसे दो दर्जन कर्मचारियों का पूरा ब्यौरा उच्च शिक्षा विभाग से तलब किया है। विभाग ने बीयू फाइल भेजकर जल्द रिपोर्ट तलब की है। बीयू रिपोर्ट पहुंचते ही मंत्री पटवारी आगामी कार्रवाई के लिए आदेशित करेंगे। 

बर्खास्तगी बाद अरविंद्र एक साल से बीयू के बंगले में जमे हुए हैं। अरविंद्र की पत्नी मीनाक्षी वर्मा आईपर कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर होने पर बीयू परिसर में निवासरत हैं। जबकि नियमानुसार निजी कालेज कालेज के प्रोफेसर बीयू परिसर में रहने की पात्रता नहीं रखता है। बीयू उनसे दो साल में लाखों रुपए का किराया तक नहीं वसूल पाया है। अरविंद्र का कैबिन हटाकर डीएसडब्ल्यू को दिया गया है। 

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