बिहार रेजिमेंट है भारतीय सेना का मजबूत अंग 

 पटना 
बिहार रेजिमेंट की अलग ही खासियत है। बात चाहे सर्जिकल स्ट्राइक में हिस्सा लेने की हो या फिर कारगिल युद्ध में विजय कहानी लिखने की, इस रेजिमेंट  ने हर जगह अपने अदम्य साहस का परिचय दिया और प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की। इसे भारतीय सेना का एक मजबूत अंग माना जाता है। 

दुश्मनों को धूल चटाई
कारगिल की लड़ाई में बिहार रेजिमेंट के करीब 10 हजार सैनिक शामिल हुए थे। 1971 की लड़ाई में जब पाक के दो टुकड़े हुए, उस लड़ाई में भी रेजिमेंट की अहम भूमिका थी।

मुंबई हमले में शहीद 
2008 में मुंबई में हमला हुआ था तब एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन टोरनांडो में शहीद हो गए थे। मेजर संदीप बिहार रेजिमेंट के थे। 

15 जांबाजों ने शहादत दी  
घाटी के उरी सेक्टर में पाक से आए आतंकियों से लोहा लेते हुए रेजिमेंट के 15 जांबाजों ने प्राणों की आहुति दी थी। 

1941 में गठन
बिहार रेजिमेंट का गठन आजादी के पूर्व 1941 में अंग्रेजों ने किया था। इसका गठन 11वीं (टेरिटोरियल) बटालियन और 19वीं हैदराबाद रेजिमेंट को नियमित करके और नई बटालियनों का गठन करके किया गया था। यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी पैदल सेना रेजिमेंट में से एक है।

दूसरा बड़ा कैंटोनमेंट 
देश को जब-जब जरूरत पड़ी इस रेजिमेंट के जांबाज जवान वहां खड़े दिखे। रेजिमेंट का मुख्यालय बिहार की पटना के पास दानापुर (दानापुर आर्मी कैंटोनमेंट) में है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट है। 

23 बटालियन के साथ देश सेवा 
वर्तमान में बिहार रेजिमेंट अपनी 23 बटालियन (4 राष्ट्रीय राइफल व दो टोरिटोरियल आर्मी बटालियन) के साथ देश की सेवा में लगा है।

खासियत
ऐसा कहा जाता है कि बिहार रेजिमेंट के जवान बहादुर होते हैं और वो किसी भी स्थिति में रह पाने के लायक होते हैं। इस वजह से दुर्गम और जटिल परिस्थितियों में इनको तैनात किया जाता है। 

स्लोगन : कर्म ही धर्म है
कर्म ही धर्म है के स्लोगन के साथ बिहार रेजिमेंट के गठन का श्रेय भले ही अंग्रेजी हुकूमत को जाता है, लेकिन इसने देशभक्ति के जो उदाहरण पेश किए हैं, वे इतिहास में दर्ज हैं।

रेजिमेंट का वाक्य 
जय बजरंगबली व बिरसा मुंडा की जय की हुंकार इस रेजीमेंट का वाक्य है। इस वाक्य को कहते हुए रेजिमेंट के जवान अपने में जोश भरते हैं और दुश्मन के दांत खट्टे कर देते हैं। 

बहादुरी के लिए पदक 
तीन अशोक चक्र, सात परम विशिष्ट सेवा मेडल, दो महावीर चक्र, 14 कीर्ति चक्र, आठ अति विशिष्ट सेवा मेडल, 15 वीर चक्र, 41 शौर्य चक्र, पांच युद्ध सेवा मेडल, 153 सेना मेडल, तीन जीवन रक्षा पदक, 31 विशिष्ट सेवा मेडल और 68 मेंशन इन डिसपैच मेडल मिल चुके हैं।

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