बिहार में नए निकायों का गठन नई जनगणना के बाद

 पटना 
बिहार में किसी भी नए निकाय का गठन अब नई जनगणना के बाद ही हो सकेगा। दरअसल 2021 में होने वाली जनगणना को देखते हुए किसी भी स्तर के निकाय के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। राज्यपाल के आदेश पर जारी अध्यादेश के जरिए पूर्व में ही इस पर रोक लगाई जा चुकी है। यह रोक 31 मार्च 2021 तक है। इसमें 31 दिसंबर 2019 के बाद से नई जनगणना होने तक किसी भी बदलाव पर रोक है। ऐसे में राज्य में नए शहरी निकायों के गठन की प्रक्रिया रोक दी गई है। अब विभाग पहले इसकी अनुमति मांगेगा।

राज्य में जनगणना का काम राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के जिम्मे है। जनगणना के राज्य समन्वयक और अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने राज्यपाल के आदेश से एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें लिखा है कि राज्य के सभी जिलों, अनुमंडलों, सामुदायिक विकास प्रखंडों, सांविधिक शहरों, ग्राम पंचायतों व ग्रामों के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार की सीमाओं में 31 दिसंबर 2019 के पश्चात जनगणना कार्य पूरा होने तक कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यह रोक 31 मार्च 2021 तक है। इस आदेश के क्रम में नगर विकास एवं आवास विभाग ने फिलहाल प्रक्रिया को रोक दिया है। आनंद किशोर, सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग कहते हैं कि राजस्व विभाग के पत्र के आलोक में नए निकायों के गठन की प्रक्रिया पहले रोक दी गई है। जनगणना निदेशालय की अनुमति के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

तेजी से शुरू हुई थी नए शहरी निकायों की गठन प्रक्रिया
उधर, राज्य में नए शहरी निकायों के गठन की प्रक्रिया इन दिनों तेजी से शुरू हो चुकी थी। सभी जिलों से प्रस्ताव मांगे गए थे। जिलों ने उन्हें नगर विकास एवं आवास विभाग को भेजना भी शुरू कर दिया था। दरअसल लंबे समय से नए निकायों के गठन में शहरीकरण के पुराने मानकों का पेंच फंसा था।

छह मई को दी थी कैबिनेट ने मंजूरी
राज्य कैबिनेट ने बीते माह छह मई को हुई कैबिनेट बैठक में शहरीकरण के मानकों में प्रस्तावित बदलावों को मंजूरी देते हुए नए निकायों का रास्ता साफ कर दिया था। नगर विकास विभाग ने तीन माह में नए निकाय गठन की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया था।

150 नए निकाय हो सकते हैं गठित
अभी राज्य में शहरी निकायों की संख्या 143 है। शहरीकरण के मानकों में बदलाव से करीब 150 नए निकाय राज्य में गठित हो सकेंगे। पहले नए निकाय के लिए कुल आबादी का 75 प्रतिशत गैर कृषि आधारित जनसंख्या होना जरूरी थी। मगर अब इसे बदलकर कुल कार्यशील आबादी की आधा या उससे अधिक गैर कृषि आधारित जनसंख्या होना कर दिया गया है।

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