बिना फूड पाइप ढाई साल जिंदा रही बच्ची, अब चंदा इकट्ठा करके हुआ ऑपरेशन

 
लुधियाना 

मानव शरीर में फूड पाइप यानी भोजन की नली से ही भोजन पेट तक पहुंचता है। अब अगर इस पाइप में कोई समस्या आ जाए या पाइप हो ही ना तो इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है। लुधियाना के गांधी नगर में ढाई साल की एक बच्ची के शरीर में जन्म के समय ही फूड पाइप नहीं था, ऐसे में एक आर्टफिशल पाइप लगाकर उसे खाने-पीने की चीजें लिक्विड के रूप में दी जा रही थीं। अब बच्ची का ऑपरेशन करके फूड पाइप लगा दिया गया है, जिससे वह खाना खा सकेगी।  

बच्ची के घरवालों का कहना है कि वह अकसर किचन में जाती और खाने की चीज लेकर भागती और यह देखकर घरवालों की आंखों में आंसू आ जाते थे क्योंकि वह कुछ खा नहीं सकती थी। जन्म के समय से ही उसके शरीर से जोड़े गए एक पाइप के माध्यम से उसे लिक्विड डायट पर जिंदा रखा गया है। हालांकि, अब शहर के ही कुछ लोगों ने बच्ची के लिए पैसे इकट्ठा किए और उसका ऑपरेशन करा दिया है। 

बच्ची के इलाज के लिए पिता को बेचना पड़ा था घर 
बच्ची के पिता शिमला में रहते हैं और वहीं पर सेल्समैन का काम करते हैं। बच्ची के शुरुआती इलाज में इतने पैसे खर्च हुए कि उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ गया। बच्ची के अच्छे इलाज के लिए उसे उसके मामा पंकज शर्मा के पास लुधियाना में छोड़ दिया गया। पंकज बताते हैं, 'जन्म के समय ही बच्ची के शरीर में फूड पाइप नहीं था। आर्टिफिशल फूड पाइप लगाने के लिए हमें बहुत पैसों की जरूरत थी। इन ढाई सालों में वह कुछ भी चख नहीं सकी है। हमने भी उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन उन लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने बच्ची के लिए पैसे जुटाए। अब वह भी सामान्य बच्चों की तरह ही खाना खा सकेगी।' 

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था नवचेतना इस बच्ची की मदद के लिए आगे आई। नवचेतना के मुखिया सुखधीर सिंह सेखों बच्ची को कई अस्पतालों में लेकर गए। दयानंद मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने आश्वासन दिया कि ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। सुखधीर सिंह बताते हैं, 'जब मैंने बच्ची को देखा तभी फैसला कर लिया कि इसके इलाज के लिए हर कोशिश करूंगा। मैंने कई संस्थाओं के लोगों से बात की और कुछ ही दिन में 60,000 रुपये इकट्ठा कर लिए। फिर मैं रॉक फाउंडेशन के पास गया, जहां से 40,000 रुपये की मदद मिली।' 

मदद को आगे आईं कई संस्थाएं 
सुखधीर के मुताबिक, दवाइयों और टेस्ट के लिए नवचेतना ने 40,000 रुपये और माधोपुरी के अरुण शर्मा ने 20,000 रुपये खर्च किए। ऑपरेशन की कुल फीस 2.5 लाख रुपये है, जिसमें से एक लाख रुपये अस्पताल के खाते में जमा किए जा चुके हैं और बाकी के पैसे आर्य समाज (मॉडल टाउन) और शास्त्री नगर के बीसीएम आर्य मॉडल स्कूल की ओर से दिए जाएंगे। बच्ची का ऑपरेशन हो गया है और वह फिलहाल आईसीयू में है। 

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