बिजनौर से सांसद रही हैं मायावती, उनके खास रहे नसीमुद्दीन कांग्रेस से मैदान में

 
नई दिल्ली 
यूपी की बिजनौर लोकसभा सीट इस बार सुर्खियों में है. इस सीट पर कभी बसपा सुप्रीमो मायावती के सबसे खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी चुनाव लड़ रहे हैं. वह इस बार हाथी पर सवार होकर नहीं बल्कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बिजनौर सीट पर पहले चरण में वोटिंग 11 अप्रैल को है. बिजनौर सीट पर इस वक्त बीजेपी का कब्जा है और पार्टी ने दोबारा से कुंवर भारतेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है. वहीं महागठबंधन की तरफ से मलूक नागर बीएसपी के उम्मीदवार हैं.

एक समय बसपा में नसीमुद्दीन सिद्दीकी का मायावती के बाद दूसरा स्थान हुआ करता था. उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती का दाहिना हाथ माना जाता था. बीएसपी की जब यूपी में सरकार थी उस समय नसीमुद्दीन की तूती बोलती थी. वह पार्टी का मुस्लिम चेहरा थे. यूपी 2017 विधानसभा चुनाव के ठीक बाद मई महीने में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस फैसले से नाराज नसीमुद्दीन ने मायावती पर पलटवार करते हुए कई आरोप जड़ दिए. उन्होंने मायावती के साथ बातचीत की रिकार्डिंग जारी करके राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी थी. पार्टी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन ने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया.

नसीमुद्दीन के आने से बिजनौर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

बिजनौर सीट पर 11 अप्रैल को पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. यहां से कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में यहां से बीजेपी के कुंवर भारतेंद्र सिंह चुनाव जीते. बीजेपी ने दोबारा उनपर भरोसा जताया है. वहीं सपा-बसपा-आरएलडी के गठजोड़ से बने महागठबंधन की ओर से मलूक नागर चुनावी मैदान में हैं. मलूक नागर को बीएसपी ने उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं को साधते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी को उतारा है. यूपी के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के पश्चिम यूपी में पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी. नसीमुद्दीन सिद्दीकी के इस सीट पर आने से त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है.

बिजनौर सीट पर क्या है जातीय समीकरण

बिजनौर लोकसभा सीट पर कुल 15 लाख से अधिक वोटर हैं, जिनमें 848606 पुरुष और 713459 महिला वोटर हैं. 2014 में इस सीट पर 67.9 फीसदी मतदान हुआ था.  2011 की जनगणना के अनुसार, बिजनौर में कुल 55.18 % हिंदू और 44.04% मुस्लिम हैं. इस सीट पर राजपूत 40 हजार, ब्राह्मण 40 हजार, यादव 15 हजार, जाट 1.5 लाख, गुर्जर 1 लाख, कुर्मी 10 हजार और मुस्लिम वोटरों की संख्या 5 लाख के करीब है. बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें 2 बिजनौर जिले, 2 मुजफ्फरनगर जिले और 1 मेरठ जिले से आती है. ये सीटें पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं. इस बार समीकरण पूरी तरह बदले हुए हैं और त्रिकोणीय मुकाबले में लड़ाई दिलचस्प हो गई है.

मीरा कुमार, मायावती समेत कई दिग्गज लड़ चुके हैं चुनाव

नसीमुद्दीन सिद्दीकी जिस बिजनौर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं उस सीट पर कई दिग्गज चुनाव लड़ चुके हैं. मीरा कुमार, मायावती, राम विलास पासवान इस सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं. 2014 में इस सीट पर जयाप्रदा भी चुनाव लड़ चुकी हैं. जयाप्रदा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा.राष्ट्रीय लोकदल की ओर से चुनावी मैदान में उतरी अभिनेत्री जयाप्रदा यहां पर कोई ज्यादा असर नहीं दिखा पाईं. उन्हें सिर्फ 24,348 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 2 फीसदी ही था. 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत हासिल की, बिजनौर में भी ऐसा ही हुआ. भारतेंद्र ने अपने नजदीकी उम्मीदवार शाहनवाज राना को 2 लाख से अधिक वोटों से मात दी. शाहनवाज राना समाजवादी पार्टी की ओर से मैदान में थे. यहां बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मलूक नागर तीसरे नंबर पर रहे थे.

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