बारिश होने से बढ़ सकता है कोरोना वायरस का खतरा 

 
नई दिल्ली 

 पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत का रुख कर चुका है, जो जल्द ही देश के पर्वतीय राज्यों पर दस्तक देगा. अनुमान है कि बुधवार शाम को पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास पहुंच जाएगा और इसके कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख में बुधवार रात से ही बारिश और बर्फबारी शुरू हो जाएगी. दिल्ली-एनसीआर के कुछ हिस्सों में मौसम में बदलाव देखने को मिला है बूंदा-बादी भी देखने को मिली.

मौसम एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, इसी दौरान पश्चिमी पंजाब में भी एक-दो स्थानों पर बारिश देखने को मिल सकती है. हरियाणा में भी छिटपुट बारिश हो सकती है. ये गतिविधियां गुरुवार से बढ़ जाएंगी. बारिश को देखते हुए आशंका यह जताई जा रही है कि इससे कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है जिसने देश के कई इलाकों को अपनी चपेट में लिया है.

क्या बारिश से बढ़ेगी मुसीबत?

कोरोना वायरस का मौसम और तापमान से क्या संबंध है, इस पर अभी कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है. इसकी वजह है ये कि यह जानलेवा वायरस महज दो महीने पहले ही अस्तित्व में आया है. हालांकि फ्लू और कोल्ड वायरस का ट्रेंड देखें तो पता चलेगा कि यह ठंड में सक्रिय होता है, जबकि गर्मी में इसमें कमी देखी जाती है. बारिश की जहां तक बात है तो इसके चलते तापमान गिरता है और ठंड बढ़ती है. इसलिए कोरोना वायरस में तेजी आने की संभावना बढ़ जाती है. विशेषज्ञ भी ऐसा मान रहे हैं.
 
कोरोना वायरस (कोविड-19) ड्रॉपलेट से बढ़ने वाली बीमारी है क्योंकि छींकने या खांसने के बाद इसके ड्रॉपलेट हवा में बिखर जाते हैं. तापमान गिरने पर (बारिश के बाद) हवा में नमी बनती है और इस स्थिति में कोरोना वायरस के ड्रॉपलेट हवा में ज्यादा देर तक मौजूद रह सकते हैं. जैसे-जैसे धूप बढ़ती है वैसे-वैसे हवा में गर्मी बढ़ती है और ऐसे में कोरोना वायरस के ड्रॉपलेट जमीन पर गिरने लगते हैं. इस दशा में इनफेक्शन की संभावना कम होती है, जबकि हवा में तैरते वायरस तेजी से संक्रमण फैला सकते हैं.

ठंड में ही कोरोना वायरस क्यों?

चीन से चला कोरोना वायरस आज दुनिया के लगभग 75 देशों को चपेट में ले चुका है. चीन में इस वायरस की शुरुआत तब हुई जब वहां अच्छी-खासी ठंड थी. इसके लक्षण भी सर्दी, खांसी और बुखार से मिलते जुलते हैं जो आम सर्दी के लक्षण की तरह दिखते हैं.

अमूमन ऐसा देखा जाता है कि ठंड बढ़ने पर हमें सर्दी-जुकाम की शिकायत होती है. फिर इनफेक्शन बढ़ने से बुखार भी हो जाता है. ठंड में इस वायरस के बढ़ने की संभावना इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि लोग घरों में कैद होते हैं, बाहर निकलने से खुद को बचाते हैं. जब ज्यादा लोग एक-दूसरे के आसपास बने रहेंगे तो इनफेक्शन तेजी से बढ़ने की संभावना होती है. कोरोना के साथ भी ऐसा ही हुआ. चीन में हालांकि कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों में आया है लेकिन इसे बढ़ाने में ज्यादा भूमिका ठंड ने निभाई है क्योंकि लोग घरों या किसी बंद स्थान पर ज्यादा देर रुके हैं.

गर्मी में घटेगा संक्रमण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि कोरोना वायरस अप्रैल में खत्म हो जाएगा. उन्होंने इसके पीछ तर्क दिया कि गर्मी में इस तरह के वायरस मर जाते हैं. ट्रंप अकेले नेता नहीं हैं जिन्होंने गर्मियों में सुधार की उम्मीद जताई है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने भी कहा है कि वायरस का गर्मी में प्रसार कम होगा. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अन्य वायरस की तुलना में कोरोना वायरस का यह स्ट्रेन प्रतिरोधी स्ट्रेन है. इसलिए उम्मीद है कि गर्मियों तक स्ट्रेन में कमी आएगी.
 
कोरोना वायरस का तापमान से क्या संबंध है, अभी इस पर रिसर्च चल रही है, लेकिन पूर्व के दो जानलेवा वायरस सार्स और मर्स का ट्रेंड देखें तो उनका प्रसार ठंड में बढ़ा और गर्मी में गिरता चला गया. इसे देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि गर्मी बढ़ने से कोरोना वायरस का प्रभाव भी गिरेगा, लेकिन इसका अभी कोई पुख्ता आधार नहीं है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *