बारिश के मौसम में फिट रहने के लिए ऐसा हो खानपान

गर्मी के महीने बीतने के बाद मानसून एक ताजी हवा के झोंके की तरह आता है। कई लोगों के लिए तो यह वर्ष का सबसे अच्छा और आनंदित करने वाला समय होता है। लेकिन कुछ ऐसे जीव मानसून को पसंद करते हैं और इस मौसम में पनपते हैं, जो इंसान की सेहत के लिए सही नहीं हैं। इस मौसम में बैक्टीरिया पर्याप्त मात्रा में पनपते हैं और यह हमारी सेहत के लिए खतरा हैं। 70 से 100 प्रतिशत आर्द्रता में हमारे आसपास फफूंद भी भारी मात्रा में आती है, जो हमें बीमार करती है।

इसके अलावा अगर आप सावधान नहीं रहे तो यह ठंडा मौसम और नमी से भरा यानी आर्द्र वातावरण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। बैक्टीरिया का प्रसार और फफूंद के कारण कई तरह के संक्रमण और बीमारियां हो सकती हैं। फ्लू से लेकर डेंगू तक कई ऐसी बीमारियां हैं जो मानसून के समय ही अपना सर उठाती हैं।

औषधि और उत्तम स्वास्थ्य की भारत की प्राचीन व्यवस्था, आयुर्वेद में पूरे वर्ष को छह मौसम में बांटा गया है। भारत के नेशनल हेल्थ पोर्टल के एक लेख के अनुसार मौसमों का निर्धारण आदान काल (उत्तर संक्रांति) और विसर्ग काल (दक्षिण संक्रांति) में सूर्य की गति से होता है। हर काल छह माह की अवधि का होता है। आदान के समय, सूर्य और हवा दोनों शक्तिशाली होते हैं। विसर्ग के दौरान चंद्रमा और धरती ठंडी हो जाती है क्योंकि बादल, वर्षा और ठंडी हवाएं साथ हो जाती हैं। वर्षा ऋतु मानसून की शुरुआत होती है। यह ऋतु विसर्ग का आरंभ बिंदु भी होती है।
आयुर्वेद के अनुसार, जुलाई मध्य से लेकर सितंबर मध्य तक वर्षा ऋतु के दौरान हमारा संपूर्ण पाचन तंत्र धीमा और कमजोर हो जाता है। अच्छी बात यह है कि आयुर्वेद हमें इसकी दृष्टि देता है कि इस वर्षा ऋतु में हमें क्या खाना चाहिए, किस तरह स्वस्थ रहना चाहिए।

क्या खाएं

केवल ताजा भोजन ही ग्रहण करें।

हल्का भोजन करें। भोजन की मात्रा पर नियंत्रण रखें और तले-गले और अधिक मसालेदार भोजन से जितना संभव हो बचें।

सेहत के लिए फायदेमंद चीजें जैसे शुद्ध घी, दालें, मूंग, चावल और गेहूं अपने आहार में शामिल करें।

हर दिन एक चम्मच कद्दूकस किया अदरक कुछ नमक लगाकर खाइए। अदरक में औषधीय गुण होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और आपको सुरक्षा देते हैं।

पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। इससे भी पाचन अच्छी तरह होगा, मेटॉबॉलिक रेट (चयापचय दर) भी बेहतर होगी।

शुद्ध और छना हुआ पानी पीना चाहिए। पानी को कीटाणुओं से मुक्त करने के लिए उसे उबाला भी जा सकता है।

अगर आपको कब्ज रहता है, तो 3-5 ग्राम हरड़ का सेवन भी किया जा सकता है।

क्या नहीं खाना चाहिए

सड़क किनारे मिलने वाली चीजों से दूर रहें।

सलाद जैसी अधपकी चीजें खाना ठीक नहीं।

कच्चा भोजन हरगिज न खाएं। भोजन तैयार होने के बाद जल्दी ही उसे ग्रहण कर लें।

मांसाहार से बचना चाहिए क्योंकि उसे पाचन में अधिक समय लगता है।

समझदारी से सब्जियां खरीदें। अधूरी पकी और पिचपिची सब्जियां नहीं खरीदनी चाहिए।

इनके अलावा, आयुर्वेद कहता है कि दिन में नहीं सोना चाहिए, अपने आसपास स्वच्छता रखना चाहिए, अपने पैर सूखे रखना चाहिए और इन बातों का ध्यान रखने से आप स्वस्थ रहेंगे।

अतिरिक्त सुरक्षा के लिहाज से, लोबान और नीम की सूखी पत्तियों की मदद से कीटाणु को नष्ट कर सकते हैं। मलमल के कपड़े की एक छोटी पोटली में इन चीजों को लपेट अपनी अलमारी में रखने पर आप कई कीटाणुओं और कीड़ों से मुक्ति मिलेगी।

आयुर्वेद इन दिनों में परफ्यूम के उपयोग के लिए भी कहता है।

उम्मीद है कि यह सब अपना कर आप सेहतमंद रहेंगे और मानसून का आनंद उठा पाएंगे।

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