बातचीत के बीच चीन का धोखा, लद्दाख बॉर्डर पर 45 साल बाद हिंसक झड़प

नई दिल्ली
लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात आखिर वह हुआ जिसकी कल्पना भी पिछले 45 सालों से किसी ने नहीं की थी। चीन और भारत के बीच झड़प की खबरें अकसर आती हैं लेकिन 15 जून की रात यह खूनी संघर्ष में बदल गया जिसमें दोनों तरफ नुकसान की खबरें हैं। हिंसा किस तरह की होगी इसका अंदाजा इस बात से लगाएं कि बिना गोली चले दोनों तरफ सैनिकों ने जान गंवा दी। यह सब ऐसे वक्त में हुआ जब सेना अधिकारी लगातार विवाद को शांत करने के लिए मीटिंग्स कर रहे थे। 16 जून को तनाव खत्म करने के लिए चीनी सेना के रिक्वेस्ट पर सुबह 7.30 बजे दोनों देशों के सीनियर मिलिट्री ऑफिसर्स के बीच बातचीत फिर शुरू हुई।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की बड़ी बैठक
बॉर्डर के हालात देखते हुए खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत और तीनों सशस्त्र सेनाओं के प्रमुखों के साथ बड़ी बैठक की है। राजनाथ सिंह के आधिकारिक आवास 24, अकबर रोड पर हुई इस बैठक में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, चीफ ऑफ एयर स्टाफ आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने हिस्सा लिया है। दूसरी तरफ सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे का पठानकोट मिलिटरी स्टेशन का दौरा रद्द किया गया।

खूनी संघर्ष में दोनों तरफ नुकसान की खबर
इस खूनी संघर्ष में भारतीय सेना ने एक अधिकारी और दो जवानों को खो दिया। चीन के भी तीन या इससे अधिक सैनिकों के मारे जाने की खबर है लेकिन अभी तक चीनी सेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

15 जून को पहले बातचीत फिर झड़प की आई नौबत
15 जून को गलवान वैली और हॉट स्प्रिंग एरिया में ब्रिगेड कमांडर और लोकल कमांडल लेवल की मीटिंग हुई थी। फिर इसी रात ग्लवान वैली में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई।

9 जून को ग्लवान घाटी से पीछे हटने शुरू हुए थे चीनी सैनिक
9 जून को गलवान वैली में कुछ जगह से सैनिक पीछे हटने शुरू हुए। कहा गया कि यह शुरूआत है और बातचीत का सकारात्मक माहौल बना रहे इसलिए शुरू किया गया है। 10 जून को फिर गलवान वैली में मेजर जनरल स्तर की मीटिंग हुई जिसमें गलवान एरिया और हॉट स्प्रिंग एरिया पर बात हुई। 12 जून को हुई मेजर जनरल मीटिंग में गतिरोध दूर करने के ब्लू प्रिंट पर चर्चा हुई। पैंगोंग त्सो में हालात जस के तस बने रहे।

2 से 6 जून तक बातचीत का दौर
2 जून को फिर भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की मीटिंग हुई जिसमें गतिरोध दूर करने पर बात की गई। फिर 3 जून को माहौल सकारात्मक बनाने के लिए गलवान वैली में एक पॉइंट्स से चीनी सैनिक कुछ पीछे गए। 6 जून को पहली बार भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई। इसमें गतिरोध के पॉइंट्स की पहचान की गई। पैंगोंग त्सो एरिया से पीछ हटने को चीन तैयार नहीं हुआ और तय हुआ कि गलवान वैली और हॉट स्प्रिंग एरिया में गतिरोध के तीन पॉइंट्स में धीरे धीरे सैनिकों को पीछे किया जाएगा।

20 मई को बातचीत का दौर हुआ था शुरू
लद्दाख बॉर्डर पर विवाद थामने के लिए 20 मई के बाद बातचीत का दौर शुरू हुआ। लोकल लेवल और ब्रिगेड कमांडर लेवल पर बातचीत चलने लगी और दो मेजर जनरल स्तर की भी मीटिंग हुई।

मई में शुरू हुई थी झड़प
इस साल मई के शुरुआती हफ्ते में एलएसी पर दो बार भारतीय सेना के साथ झड़प के बाद चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने दो ब्रिगेड के 6,000 से अधिक सैनिकों के साथ पूर्वी लद्दाख के चार, गलवान घाटी के तीन और पंगोंग लेक के एक स्थान के पास घुसपैठ की कोशिश की।

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