बांग्लादेशी महिलाओं को ग्वालियर हाईकोर्ट से राहत नहीं, जमानत याचिका खारिज

ग्वालियर
दिल्ली में मरकज में शामिल होने के बाद श्योपुर में छुपकर रह रही बांग्लादेशी महिलाओं को ग्वालियर हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने ऐसी 6 बांग्लादेशी महिलाओं की जमानत याचिका खारिज कर दी है. 28 अप्रैल को गिरफ्तार की गयी इन बंग्लादेशी महिलाओं ने कोरोना संक्रमण न होने का हवाला देकर जमानत मांगी थी.

श्योपुर पुलिस ने 28 अप्रैल को इन छह बांग्लादेशी महिलाओं को गिरफ्तार किया था. इन महिलाओं सहित बंगलादेश के 11 लोग दिल्ली तबलीगी जमात में शामिल हुए थे और उसके बाद लॉकडाउन के दौरान श्योपुर आ गए थे. श्योपुर आने के बाद भी इन बंग्लादेशियों ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को जानकारी नहीं दी थी. लोगों की शिकायत के बाद 28 अप्रैल को शोपुर कोतवाली पुलिस ने कुल 22 जमातियों को गिरफ्तार किया था. इनमें 6 महिलाओं सहित 11 नागरिक बंग्लादेश के हैं. इन लोगों का कोरोना टेस्ट कराया गया था, जिसमें ये निगेटिव पाए गए.

लॉक डाउन का उल्लंघन और स्थानीय प्रशासन से जानकारी छिपाने के कारण इन सभी को जेल भेज दिया गया था. जेल में बंद बंग्लादेश की छह महिलाओं ने ग्वालियर हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी. इन य़ाचिका की सुनवाई के दौरान बंग्लादेशी महिलाओं के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि कोरोना का संक्रमण नही है लिहाजा इन महिलाओं को जमानत दे दी जाए. लेकिन हाईकोर्ट ने तथ्यो को देखने के बाद ये माना कि इनके मामले की जांच पूरी नही हुई है. लिहाजा जमानत देने का औचित्य ही नहीं है.

पुलिस जांच में सामने आया था कि बांग्लादेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 22 जमाती दिल्ली मरकज में हुए आयोजन में शामिल होकर श्योपुर आए थे और जानकारी छिपाकर यहां की मस्जिदों रहने लगे. एक अप्रैल को इन सभी जमातियों को मस्जिदों से निकालकर क्वारंटीइन कर दिया गया. इन सभी 22 जमातियों पर भी मामला दर्ज किया गया था. कोतवाली पुलिस ने 11 बंग्लादेशियों के खिलाफ विदेशियों विषयक अधिनियम की धारा 13 व 14, आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 के अलावा आईपीसी की धारा 188, 269 और 270 के तहत एफआईआर दर्ज की थी. जिन धाराओं में यह एफआईआर की गई उसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 में दो वर्ष की सजा का प्रावधान है. धारा 188 गैर जमानती है इसमें, 6 माह तक की सजा और 1 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है. धारा 269 में 6 माह तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. धारा 270 में 2 वर्ष तक सजा और जुर्माना हो सकता है. धारा 269 व 270 जमानती धारा है.

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