बहन को अपना बच्चा गोद देने के लिए महिला ने रच डाला षड्यंत्र, जानिए क्या है पूरा मामला 

 गाजियाबाद
 
अपनी बहन को अपना होने वाला बच्चा गोद देने के लिए महिला ने षड्यंत्र रच डाला। महिला ने अस्पताल के कागजात में अपने नाम की जगह बहन का नाम और पति के नाम की जगह अपने जीजा का नाम लिखवा दिया। बेटा होने पर महिला के घर वालों को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। मामला तूल पकड़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने पूछताछ की तो बच्चे की असली मां ने सामने आकर अपनी गलती मानी और बच्चे को अपना लिया। 

महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि दिल्ली के करावल नगर निवासी कंचन राणा की बड़ी बहन रीना का शादी के 11 साल बाद भी कोई बच्चा नहीं था। इसीलिए उसने अपनी बड़ी बहन की मदद करने के लिए अपने ससुराल वालों को बिना बताए गाजियाबाद के महिला अस्पताल में सोमवार को प्रसव दर्द होने के कारण यहां आकर भर्ती हो गई। भर्ती होने से लेकर अस्पताल की सभी कागजी प्रक्रिया में उसने अपनी बड़ी बहन रीना और अपने जीजा के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, ताकि दस्तावेजों के मुताबिक बच्चा उसकी बहन का ही रहे। सोमवार सुबह महिला ने एक लड़के को जन्म दिया। इसके बाद उसने अपनी बहन और जीजा को अस्पताल बुला लिया। 

वहीं प्रसव होने की जानकारी जब महिला के पति किशन कुमार को मिली तो उसका पूरा परिवार अस्पताल पहुंच गया और सभी ने पुलिस बुलाकर हंगामा करना शुरू कर दिया। ससुराल पक्ष का कहना था कि कंचन झूठ बोल रही है और यह उसका ही बच्चा है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन और पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो पूरा मामला सामने आ गया। कंचन ने मान लिया कि यह उसका ही बच्चा है। बड़ी बहन को बच्चा गोद देने के लिए उसने यह सारा षड्यंत्र रचा था। गुरुवार को महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

ससुराल पक्ष करता है प्रताड़ित
कंचन राणा का आरोप है कि उसके ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते हैं। पति किशन कुमार के साथ उसकी शादी पांच साल पहले हुई थी। चार साल से लगातार दोनों के बीच मारपीट हो रही है। उसके पति उसके मेरठ स्थित मायके आकर उसके दो बच्चों (बेटा-बेटी) को अपने साथ ले गए। यही वजह है कि पति उसके तीसरे बच्चे को भी अपने साथ न लेकर चला जाए, इस डर से उसने यह सारी योजना बनाई थी। 

मासूम छाया को मथुरा अनाथालय भेजा गया
पिछले तीन महीने से जिला महिला अस्पताल में रह रही मासूम छाया को मथुरा के अनाथालय भेज दिया गया। छाया को महिला अस्पताल के सभी चिकित्सकों और नर्स ने नम आंखों से विदा किया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि छाया के जाने के बाद पैरामेडिकल स्टाफ में मायूसी छाई हुई है। गौरतलब है कि छाया यहां पिछले तीन महीने से थी। उसे उसके माता-पिता ने छोड़ दिया था। जब उसे यहां लाया गया तो उसका वजन बेहद कम था और वह बीमार भी थी। ऐसे में तीन महीने उसे अस्पताल में रखकर देखभाल किया गया। अब वह करीब ढाई किलो से ज्यादा वजन की हो चुकी थी। छाया को मथुरा के अनाथालय भेजा गया है। यहां से उसे किसी दंपति को गोद दे दिया जाएगा। 
 

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