बस्तर दशहरा की 700 साल पुरानी ये परंपरा टूटी, नाराज हुआ राजपरिवार

बस्तर
विश्व प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ के बस्तर दशहरे की शुरुआत की पहली रस्म को समय से पहले पूरा कर लिए जाने से बस्तर राजपरिवार खासा नाराज है. कहा जा रहा है कि सात सौ साल में ये पहली बार हुआ. जब किसी रस्म की दो बार निभाया गया. राजपरिवार के सदस्य कमलचंन्द्र भंजदेव ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ये कि 'ये बहुत बड़ी भूल है. ये नहीं होना चाहिए था. अब आगे क्या होगा ये दंतेश्वरी माई ही जानें.'

दरअसल एक अगस्त से विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरुआत हो चुकी है. आज दशहरे की शुरुआत में पहली रस्म पाट जात्रा की निभाई जाती है. इतिहास है कि इस रस्म को पूरा करने के लिए राजपरिवार से पूजा की थाली आती है, जिसे राजपरिवार द्वारा स्पर्श कर भेजा जाता है. उसके बाद पाट जात्रा विधान की रस्म की जाती है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि सात सौ साल में ये पहली दफा हुआ जब इस रस्म में राजपरिवार को दरकिनार तो किया ही गया. साथ ही दशहरा समिति से जुड़े मांझी, चालकी, मेम्बरिन इन सभी की अनुपस्थिति में इस रस्म को सुबह नौ बजे पूरा कर दिया गया.

कांग्रेसी ही रहे मौजूद
आरापे लगाया जा रहा है कि दशहरे की इस रस्म के दौरान बस कांग्रेस के स्थानीय नेताओं समेत बस्तर पर प्रवास पर आए जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. प्रेमसाय, बस्तर सांसद दीपक बैज शामिल हुए. समय से पहले और राजपरिवार से आई पूजा थाली के बगैर इस रस्म को पूरा कर लिए जाने से बस्तर राजपरिवार काफी नाराज है. कहा जा रहा है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

अनहोनी की आशंका
राजपरिवार के सदस्य कमलचन्द्र भंजदेव का कहना है कि रस्म को समय से पहले पूरा करने से अनहोनी की आशंका है. ये कांग्रेस की बहुत बड़ी भूल है. भंजदेव कहते हैं कि बस्तर दशहरे को किसी राजनीतिक दल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. ये बस्तर के लोगों का पर्व है. हालांकि जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि आज हरेली अमावस्या के कई कार्यक्रम थे. इस वजह से इस रस्म को जल्दी का लिया गया.

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