बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, ईरान से अब कच्चा तेल नहीं खरीद पाएगा भारत

 नई दिल्ली
 अमेरिका द्वारा ईरान से कच्चा तेल खरीदने की भारत को मिली छूट आज खत्म हो गई है। अब भारत को अमेरिका, इराक और सऊदी अरब जैसे देशों से कच्चे तेल की आपूर्ति पर निर्भर रहना होगा। इसके साथ ही भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी की भी आशंका पैदा हो गई है। 

दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि 2 मई से ईरान से तेल आयात बंद करना होगा। ट्रंप की इस घोषणा के बाद से ही भारत ने दूसरे विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि अब सबकी नजर ओपेक की अगुवाई करने वाले सऊदी अरब पर होगी। अगर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश तेल आपूर्ति बढ़ाते हैं तो ही कीमतें स्थिर रह पाएंगे। 

सऊदी अरब भारत को सबसे ज्यादा तेल आपूर्ति करता रहा है, लेकिन 2017-18 में इराक ने उसे पीछे धकेल दिया। इराक ने भारत की जरूरतों के पांचवें हिस्से की आपूर्ति की है। वाणिज्‍यिक जानकारी एवं सांख्‍यिकी महानिदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक इराक ने अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के दौरान भारत को 4.66 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा। यह वित्त वर्ष 2017-18 के 4.57 करोड़ टन की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक है। भारत ने प्रारंभिक तौर पर 2018-19 में 20.7 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया।

आंकड़ों के मुताबिक ईरान ने 2018-19 में भारत को 2.39 करोड़ टन कच्चे तेल की आपूर्ति की। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में 2.25 करोड़ टन था। 2018-19 में यूएई ने भारत को 1.74 करोड़ टन जबकि वेनेजुएला ने 1.73 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा। 2017-18 में वेनेजुएला ने 1.83 करोड़ टन और यूएई ने 1.42 करोड़ टन तेल की आपूर्ति की थी। इसके बाद, भारत को कच्चे तेल आपूर्ति के मामले में नाइजीरिया का नंबर आता है।

क्या होगा नुकसान 
भारत, चीन, जापान और यूरोप के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था तेल आयात पर निर्भर है। दाम बढ़ने से जीडीपी पर असर पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल समेत सभी वस्तुओं व सेवाओं की महंगाई भी तेजी से बढ़ेगी। यही नहीं तेल सौ डॉलर पहुंचता है तो रुपया तेजी से लुढ़क सकता है, जिससे भारत को आयात के बदले ज्यादा पूंजी चुकानी होगी और शेयर बाजार भी नीचे आने की आशंका है। इसके साथ ही भारत समेत पूरी दुनिया में विकास दर भी घट सकती है। 
 

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