बंगाल में गवर्नर जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी की तकरार बढ़ी  

 कोलकाता 
पश्चिम बंगाल में टीएमसी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गवर्नर जगदीप धनखड़ की तकरार और बढ़ गई है. जाधवपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल जगदीप धनखड़ को छात्रों और कर्मचारियों के विरोध की वजह से बिना कन्वोकेशन समारोह में शामिल हुए लौटना पड़ा. धनखड़ ने जाधवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस से ही ट्वीटर पर ममता बनर्जी और यूनिवर्सिटी के वीसी पर सवाल उठाया और कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है, पचास लोग सिस्टम को बंधक बनाकर बैठे हैं पर कोई कुछ नहीं कर रहा है. ममता बनर्जी और उनकी पार्टी लगातार राज्यपाल धनखड़ पर राज्यपाल पद की गरिमा के खिलाफ जाकर केंद्र सरकार और बीजेपी के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाती रही है.

धनखड़ का बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में टीएमसी कार्यकर्ता और छात्र लगातार विरोध कर रहे हैं और इस वजह से राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संबंधों में तल्खी भी बढ़ रही है. कुछ दिन पहले राज्यपाल को विधानसभा में उस गेट से नहीं घुसने दिया गया जो गेट गवर्नर के लिए ही बनाया गया है. जाधवपुर यूनिवर्सिटी में छात्र और कर्मचारी यूनियन नागरिकता कानून को लेकर विरोध कर रहे थे. धनखड़ ने ट्वीटर पर कई ट्वीट किए हैं जिनमें ममता बनर्जी से सीधे कहा है कि उन्हें दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोकने के लिए राजनीतिक मकसद से रास्ता रोका जा रहा है और कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले नियमों की अनदेखी कर रहे हैं.

यूनिवर्सिटी कैंपस में लगातार विरोध से परेशान गवर्नर धनखड़ ने 13 जनवरी को राजभवन में राज्य के सारे उपकुलपति यानी वीसी की मीटिंग बुलाई है. राज्यपाल ने सभी वीसी से उनके सुझाव और परेशानी लिखित में पहले ही मांगे हैं ताकि वो मीटिंग से पहले उन मसलों पर तैयारी कर सकें. इस महीने की शुरुआत में ही ममता बनर्जी सरकार ने राज्य और राज्य सरकार की मदद से चलने वाली यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति से लेकर विश्वविद्यालयों के कामकाज तक में चांसलर के तौर पर राज्यपाल के ताकत को कतर दिया था. 

पहले राज्यपाल वीसी की नियुक्ति करते थे लेकिन अब नए नियमों के तहत वीसी की नियुक्ति में राज्य सरकार की सिफारिश पर गवर्नर को बस मुहर लगाना है. उसी तरह यूनिवर्सिटी को चांसलर यानी राज्यपाल से सारे पत्र-व्यवहार राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के रास्ते करने कहा गया है. यूनिवर्सिटी को अब सीनेट वगैरह की मीटिंग खुद से बुलाने का अधिकार दे दिया गया है जिसके लिए पहले चांसलर की इजाजत लेनी पड़ती थी. अब ज्यादातर मामलों में उच्च शिक्षा विभाग यानी शिक्षा मंत्री को सामने रख दिया गया है जिससे राज्यपाल और भी खफा और अलग-थलग महसूस कर रहे हैं.

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