फ्रॉड सैंया मूवी रिव्यू

 

कलाकार: अरशद वारसी,सौरभ शुक्ला,सारा लॉरेन,फ्लोरा सैनी
निर्देशक: सौरभ श्रीवास्तव
मूवी टाइप: कॉमिडी,ऐक्शन,ड्रामा
अवधि: 1 घंटा 49 मिनट

फिल्म के प्रड्यूसर के तौर पर नैशनल अवॉर्ड विनर निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा का नाम हो और उसमें अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला जैसे मंजे हुए कलाकार हो, तो आप एक ठीक-ठाक फिल्म की उम्मीद करते हैं, लेकिन इस तिकड़ी की ताजा पेशकश 'फ्रॉड सैंया' हर स्तर पर निराश करती है। वैसे, यह फिल्म मूल रूप से प्रकाश झा की बेटी दिशा झा और उनके साथी पार्टनर कनिष्क गंगवाल ने बनाई है, लेकिन लगता है कि फिल्म बनाते वक्त वे 90 के दशक में कहीं अटक गए हैं। जब औरतों की टांगें-क्लीवेज देखकर और गैस छोड़ने को लेकर बने घटिया जोक्स सुनकर शायद लोग हंसते रहे होंगे, लेकिन आज ये चीजें मनोरंजक नहीं, बल्कि फूहड़ लगती हैं।
जैसा कि शीर्षक से साफ है, फिल्म में भोला प्रसाद त्रिपाठी (अरशद वारसी) एक ऐसा फ्रॉड है, जिसकी जिंदगी का मूल मंत्र है चुटकी भर सिंदूर, तो नौकरी की टेंशन दूर। वह एक के बाद एक औरतों की मांग में सिंदूर और उन्हें ठगकर अपनी जेब में रुपए भरता रहता है। उसकी इन्हीं बीवियों में से एक का रिश्तेदार मुरारी (सौरभ शुक्ला), जो एक डिटेक्टिव है, भोला को पकड़वाने के मकसद से उसके साथ लग जाता है। इसके बाद लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद के उनके सफर में भोला की कई बीवियों और उनके किस्से सामने आते हैं। इनमें एक लेडी डॉन चंदा (भावना पाणि) और विधवा पायल (सारा लॉरेन) का ट्विस्ट-टर्न भरा ट्रैक भी शामिल है।

फिल्म की कहानी और निर्देशन दोनों ही स्तरहीन हैं। हालांकि, फिल्म के राइटर-निर्देशक सौरभ श्रीवास्तव ने हाल ही में इससे अपना नाम हटाने की बात कही थी, क्योंकि उन्हें फिल्म उनके हिसाब से नहीं बनाने दी गई है। फिल्म में महिला किरदारों को इस कदर मूर्ख दिखाया गया है कि भोला की दो बीवियां उसके धोखे का खुलासा होने के बावजूद न केवल मिलकर उसे बचाती हैं, बल्कि उनकी लड़ाई इस बात पर ज्यादा होती है कि पहली ने दूसरी को जीजी कैसे कह दिया! ऐसे ही, एक सीन में टीनेजर भोला अपने स्कूल की एक लड़की को प्रपोज करता है और उसे हां कहने के लिए जबरदस्ती करता है। लड़की जब भोला का हाथ काट लेती है, तो वह उसी खून से उसकी मांग भर देता है। बस, फिर क्या लड़की उसे अपना पति परमेश्वर मान लेती है। फिल्म के एक सीन में अडल्टरी कानून का भी मजाक बनाया गया है।

अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला दोनों ही इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकारों में शुमार हैं। इन दोनों की कॉमिक टाइमिंग भी लाजवाब होती है, लेकिन फिल्म में दोनों ही दर्शकों को हंसाने में पूरी तरह नाकामयाब रहे हैं। हां, लेडी डॉन चंदा के रोल में भावणा पाणि और उनके डॉन भाई के रोल में पियूष सुहाणे हंसी के कुछ पल जरूर मुहैया कराते हैं। अन्य कलाकारों में फ्लोरा सैनी, निवेदिता तिवारी आदि ने अपनी छोटी सी भूमिका में अच्छी लगती हैं। सोहेल सेन का म्यूजिक भी कुछ खास यादगार नहीं है। एली अवराम पर फिल्माया गया आइटम नंबर छम्मा-छम्मा भी अपना सुरूर नहीं छोड़ पाता।

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